• भारत के 38 शहरों में हो सकती है बड़ी तबाही

    नई दिल्ली ! देश के कम से कम 38 शहर अत्यधिक जोखिम वाले भूकम्पीय क्षेत्र में स्थित हैं और देश का 60 फीसदी भौगोलिक हिस्सा भूकम्प की चपेट में आ सकता है। दिल्ली मेट्रो जैसी कुछ संरचनाओं को यदि छोड़ दिया जाए, तो शहरों की अधिकांश संरचना तीव्र भूकम्प को झेलने में सक्षम नहीं है और ऐसे में इन शहरों में भूकम्प आने पर बड़ी तबाही हो सकती है।...

    नई दिल्ली !   देश के कम से कम 38 शहर अत्यधिक जोखिम वाले भूकम्पीय क्षेत्र में स्थित हैं और देश का 60 फीसदी भौगोलिक हिस्सा भूकम्प की चपेट में आ सकता है।  दिल्ली मेट्रो जैसी कुछ संरचनाओं को यदि छोड़ दिया जाए, तो शहरों की अधिकांश संरचना तीव्र भूकम्प को झेलने में सक्षम नहीं है और ऐसे में इन शहरों में भूकम्प आने पर बड़ी तबाही हो सकती है। नेपाल में आए भूकम्प का अनुमान भूगर्भशास्त्रियों को पहले से ही था, जिन्होंने एशिया की मुख्य भूमि पर भारतीय उपमहाद्वीप के लगातार पड़ रहे दबाव के कारण हिमालयी क्षेत्र में और भी भूकम्प आने की चेतावनी दी है। भारतीय मानक ब्यूरो ने 1962 में पहली बार 'भूकम्प रोधी डिजाइन के लिए भारतीय मानक शर्तÓ का प्रकाशन किया था, जिसमें ताजा संशोधन 2005 में किया गया है। इसकी सिफारिश के मुताबिक देश के कम ही मकान बने हुए हैं। यह मानक बाध्यकारी नहीं है। इसलिए किसी को पता नहीं है कि भूकम्प-रोधी आवासीय मकान बनाने के लिए कोई दिशा-निर्देश है। दिल्ली मेट्रो की संरचना भूकम्प झेलने में सक्षम है और ऐसी कुछ ही संरचनाएं हैं। भुज में 2001 का भूकम्प आने के बाद बने मकान इस मानक पर आधारित हैं। महाराष्ट्र के लातूर में 1993 में आए 6.4 तीव्रता के भूकम्प में करीब 10 हजार लोग मारे गए थे, जबकि इस क्षेत्र को भूकम्प वाला क्षेत्र नहीं माना जाता है। भूकम्प को लेकर उत्तराखंड चौकसदेहरादून। पड़ोसी देश नेपाल में पिछले सप्ताह आए विनाशकारी भकम्प के बाद भारतीय राज्य उत्तराखंड भूकम्प की स्थिति में आपदा प्रबंधन और अन्य प्रतिक्रियाओं को लेकर चौकस हो गया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन को और चौकस रहने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने   आपदा की स्थिति से निपटने के लिए राज्य की स्थिति का जायजा लिया और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को आपात स्थिति के लिए चौकस रहने को कहा। देहरादून में बीजापुर अतिथिगृह में वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक में में रावत ने कहा,  अधिकारियों को नेपाल के भूकम्प से सीख लेनी चाहिए और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय बिठाना चाहिए, ताकि इस तरह की आपदा की स्थिति में राज्य तंत्र को बचाव और राहत के लिए इंतजार न करना पड़े।  उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है और इसे भूकम्प का खतरा है, इसलिए हमें ऐसी किसी भी संभावित घटना से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने आपदा प्रबंधन और राज्य आपदा राहत बल के अधिकारियों को जिला स्तरीय इकाइयों को और मजबूत करने तथा भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए जरूरी उपकरणों की एक सूची तैयार करने का निर्देश दिया।  एक अधिकारी ने  बताया, ''भूकंप के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों को फिर से चिन्हित किया गया है और हर जिलास्तरीय आपदा प्रबंधन इकाई को 50 लाख रुपये अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराने और मुख्य सचिव से लेकर तहसीलदार स्तर तक सभी अधिकारियों के फोन नंबरों का डेटा तैयार करने का निर्देश जारी किया गया है।ÓÓ एसडीआरएफ के अलावा 2,000 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया गया है। इसके अतिरिक्त रावत ने मोटरसाइकिल आधारित एंबुलेंस सेवा की जरूरत पर जोर दिया, ताकि वे कठिन पहाड़ी इलाकों तक पहुंच सकें।

अपनी राय दें