• चयन पैनल का हिस्सा बनने से मुख्य न्यायाधीश का इंकार

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चि_ी लिखकर बताया है कि वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) में तब तक हिस्सा नहीं ले सकेंगे, जब तक एनजेएसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायालय की संविधान पीठ इसका समर्थन करती रहेगी। ...

     प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताई मजबूरीनई दिल्ली !   सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चि_ी लिखकर बताया है कि वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) में तब तक हिस्सा नहीं ले सकेंगे, जब तक एनजेएसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायालय की संविधान पीठ इसका समर्थन करती रहेगी। महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने एनजेएसी अधिनियम-2014 और संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को सोमवार को यह जानकारी दी।रोहतगी ने न्यायालय से प्रधान न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों को एनजेएसी में हिस्सा लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया।महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने एनजेएसी अधिनियम-2014 और संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को सोमवार को यह जानकारी दी। रोहतगी ने न्यायालय से प्रधान न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों को एनजेएसी में हिस्सा लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया।पांच जजों की संविधान पीठ को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि न्यायमूर्ति दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे।संविधान पीठ उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति से जुड़े इस नए कानून की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। तीन सदस्यीय पैनल में मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं, जो उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति से संबंधित छह सदस्यीय एनजेएसी में दो मशहूर व्यक्तियों को चुनने और उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत हैं। जब एनजेएसी का मामला न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की संविधान पीठ के संज्ञान में लाया गया तो पीठ ने वरिष्ठ वकीलों की राय सुनी कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कैसे मामले पर आगे बढ़ा जाए कि निकट भविष्य में उच्च न्यायालय में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों के स्थान पर नियुक्ति की संभावना होगी, जिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी। अटार्नी जनरल ने कहा कि छह सदस्यीय आयोग में मशहूर  व्यक्तियों को चुनने और उनकी नियुक्ति में पैनल का हिस्सा बनना मुख्य न्यायाधीश के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में चीफ जस्टिस के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए। हालांकि उनकी राय से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने अलग राय प्रकट की। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे नरीमन ने कहा कि यदि चीफ जस्टिस हिस्सा नहीं ले रहे हैं तो पीठ अन्य को उसमें हिस्सा लेने के लिए निर्देश दे सकती है। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की राय भी जाननी चाही, जिन्होंने कहा कि पीठ को यह देखना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया एनजेएसी कानून के कार्यान्वयन पर स्थगन लगाने का मामला बनता है या नहीं।हालांकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पीठ सुनवाई जारी रख सकती हैं क्योंकि हाई कोर्ट में अतिरिक्त जजों का सवाल 20 मई के बाद उठेगा और इस बीच यदि सुनवाई चलती है तो जज इस बात को जान लेंगे कि प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण क्या बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीठ को एक तरफ न्यायिक परिवार के मुखिया यानी चीफ जस्टिस की संवेदनशीलता पर विचार करना होगा, वहीं संसद की इच्छा पर भी गौर करना होगा, जिसने एनजेएसी के गठन का कानून बनाया है। उन्होंने कहा कि मामले पर 7-8 दिन सुनवाई होने दें फिर पूरे मामले पर राय ली जा सकती है। साल्वे हरियाणा सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं और वह नए कानून के पक्ष में हैं।उन्होंने कहा, 'आज हम एकदम प्रारंभिक चरण में हैं। ऐसे में इस चरण में स्थगन लगाना सही नहीं होगा।Ó शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को कहा था कि एनजेएसी हाई कोर्ट में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति से ही निबटेगा जिनका कार्यकाल इस विवाद के लंबित रहने के दौरान खत्म होगा। उससे पहले शीर्ष अदालत को अटार्नी जनरल ने आश्वासन दिया था कि आयोग उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति नहीं करेगा और ऐसी आकस्मिक स्थिति में इस शीर्ष अदालत का रुख करेगा। इससे पहले पीठ ने रोहतगी को हाई कोर्ट के उन अतिरिक्त न्यायाधीशों के बारे में सक्षम प्राधिकरण से निर्देश लेने का आदेश दिया था जिनका कार्यकाल निकट भविष्य में खत्म होने जा रहा है और वह भी उस स्थिति में जब एनजेएसी का मामला शीर्ष अदालत में लंबित है।

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