• किन्नरों को मिलेगा बराबरी का अधिकार!

    नई दिल्ली ! भारतीय संसद के इतिहास में 40 साल बाद कोई निजी विधेयक कानून बनने की दहलीज पर खड़ा है जो किन्नरों को समाज में बराबरी के अधिकार देने की क्रांतिकारी नींव रखेगा। बुजुर्गों के सदन राज्यसभा ने आज यह ऐतिहासिक पहलकदमी करते हुए द्रमुक के तिरूचि शिवा द्वारा पेश किए गए इस गैर सरकारी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। ...

    40 साल बाद कानून बनेगा कोई निजी विधेयक!नई दिल्ली !  भारतीय संसद के इतिहास में 40 साल बाद कोई निजी विधेयक कानून बनने की दहलीज पर खड़ा है जो किन्नरों को समाज में बराबरी के अधिकार देने की क्रांतिकारी नींव रखेगा। बुजुर्गों के सदन राज्यसभा ने आज यह ऐतिहासिक पहलकदमी करते हुए द्रमुक के तिरूचि शिवा द्वारा पेश किए गए इस गैर सरकारी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक अब लोकसभा के दरवाजे पर पहुंच गया है जहां यह तय होगा कि यह कानून का रूप ले पाता है या नहीं। सत्तर के दशक तक 14 गैर सरकारी विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित होकर कानून बन चुके हैं लेकिन पिछले 40 साल में कोई निजी विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया है। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया कि राज्यसभा सचिवालय से यह विधेयक अब लोकसभा को भेजा जाएगा जहां कोई भी सदस्य इसे सदन में पेश करने का नोटिस दे सकता है। इसके बाद विधेयक सदन के नियमों के अनुसार विचार तथा पारित करने के लिए पेश किया जाएगा। किन्नरों के प्रति सहानुभूति देखते हुए सरकार लोकसभा में भी इस विधेयक के समर्थन में आ सकती है जहां उसका बहुमत है। इसका संकेत आज राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने दिया जिनका कहना था कि इस संवेदनशील मुददे पर सदन बंटा हुआ नजर नहीं आना चाहिए। राज्यसभा में संख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में खड़े विपक्ष ने इस गैर सरकारी विधेयक के पीछे अपनी ताकत झोंक दी जिसके सामने सरकार नतमस्तक होते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कराने पर सहमत हो गअब देखना यह है कि लोकसभा में उसका क्या रूख रहता है जहां संख्याबल में विपक्ष पीछे है।

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