• निर्यात को अधिक बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक नजरिया की जरूरत

    नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि सेवा निर्यात को सालाना 155 अरब डॉलर से अधिक बढ़ाने के लिए लक्षित और वैज्ञानिक नजरिया अपनाने की जरूरत है। यहां तीन दिवसीय सम्मेलन 'वैश्विक सेवा प्रदर्शनी' के उद्घाटन सत्र में मोदी ने कहा, "दुनिया में भारत की पहचान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और योगा से अलग भी बनाइए।"...

    नई दिल्ली !   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि सेवा निर्यात को सालाना 155 अरब डॉलर से अधिक बढ़ाने के लिए लक्षित और वैज्ञानिक नजरिया अपनाने की जरूरत है। यहां तीन दिवसीय सम्मेलन 'वैश्विक सेवा प्रदर्शनी' के उद्घाटन सत्र में मोदी ने कहा, "दुनिया में भारत की पहचान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और योगा से अलग भी बनाइए।"मोदी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्थिति और खास तौर से समृद्ध देशों की स्थिति का लाभ उठाना चाहिए।उन्होंने कहा, "हमें यह ध्यान रखते हुए योजना बनाने की जरूरत है कि देश की 65 फीसदी आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है और आने वाले समय में हमारी आबादी और युवा होने वाली है। हमें दुनिया की स्थिति पर भी गौर करना होगा, जहां कई देशों में श्रम बल का अभाव हो सकता है।"प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों और निजी कंपनियों को मानव संसाधन विकास में लग जाना चाहिए, ताकि विविध क्षेत्रों के श्रम बाजार का लाभ उठाया जा सके।उन्होंने कहा, "भारत इतना विशाल है और इसका श्रम बल इतना व्यापक है कि हमें इसकी असली क्षमता को समझने की जरूरत है। असम से लेकर कर्नाटक तक अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों की अपनी अलग विशेष क्षमता है।"प्रधानमंत्री ने कहा, "देश को अपने श्रम बल को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। 2015 तक के लिए हमें पता होना चाहिए कि किस देश को क्या चाहिए। हम हर देश की जरूरत का खांका खींच सकते हैं।"इससे पहले वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का योगदान 2000 के 1.1 फीसदी से बढ़कर 2015 में 3.2 फीसदी हो गया है।उन्होंने बताया कि 2014 में भारत दुनिया का आठवां सबसे बड़ा वाणिज्यिक सेवा निर्यातक रहा।2013-14 के 151.5 अरब डॉलर के सेवा निर्यात में कंप्यूटर सेवा का योगदान 46 फीसदी रहा।

अपनी राय दें