• 'गरीबी के कारण गिरवी रख दिए बच्चे'

    खरगोन ! हरदा जिले से गडरिये के चुंगल से बचकर चाईल्ड लाईन के संपर्क में आने के बाद तीन बच्चों को खरगोन के बालगृह छोड़ा गया था। इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने गिरफ्त में आए एक गडरिये और बच्चों की निशानदेही पर दो अन्य बच्चों को छुड़ाया है। यह बच्चे उनके अभिभावकों ने गरीबी के कारण गड़रिये को गिरवी रख दिए थे। पुलिस आज हरदा से एक अन्य गडरिये हेमला उर्फ समेला के साथ दो नाबालिग बच्चों को लेकर शहर पहुंची। ...

    खरगोन पुलिस ने गड़रियों के चंगुल से 2 और बच्चे छुड़ाएखरगोन !  हरदा जिले से गडरिये के चुंगल से बचकर चाईल्ड लाईन के संपर्क में आने के बाद तीन बच्चों को खरगोन के बालगृह छोड़ा गया था। इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने गिरफ्त में आए एक गडरिये और बच्चों की निशानदेही पर दो अन्य बच्चों को छुड़ाया है। यह बच्चे उनके अभिभावकों ने गरीबी के कारण गड़रिये को गिरवी रख दिए थे। पुलिस आज हरदा से एक अन्य गडरिये हेमला उर्फ समेला के साथ दो नाबालिग बच्चों को लेकर शहर पहुंची। एसपी अमित सिंह ने बालगृह पहुंचकर बच्चों से पूछताछ की। इनमें एक बच्चा मोहनपुरा का है और एक आमल्यापानी निवासी है। मोहनपुरा निवासी बच्चे ने एसपी को बताया कि वे दो भाई हैं, एक भाई बनिहार में पढ़ता है। उसे उसके पिता जगन और लालू नामक व्यक्ति ने खंडवा ले जाकर गडरिये के सुपुर्द किया था। उसके पिता ने उसे बताया था कि कर्ज होने के कारण उसे गडरिये के पास एक साल के लिए काम पर रखा जा रहा है। बच्चों ने बालगृह में न रहकर माता-पिता के पास जाने की इच्छा जताई है। एसपी सिंह ने बताया की शनिवार को हरदा पुलिस और चाइल्ड लाइन सदस्यों ने 3 बच्चों और एक गडरिये भूरा को पुलिस को सौंपा था। पूछताछ में भूरा ने एक अन्य साथी हेमला उर्फ सेजला का नाम बताया था, वहीं दो अन्य बच्चों के हेमला के पास होने की जानकारी दी थी। इसी आधार पर एक दल गठित कर हरदा भेजा गया था। सोमवार को हेमला को दबोच लिया गया उसके कब्जे से एक 12 और एक 10 साल के नाबालिग को छुडाया गया है। उल्लेखनीय है कि 18 अपे्रल को हरदा जिले के चाइल्ड लाईन के संपर्क में आए तीन नाबालिग बच्चों को शनिवार शहर लाया गया था। तीन नाबालिग बच्चों ने अपने अभिभावको के साथ रहने से इंकार कर दिया। इसके बाद बच्चों को निराश्रित बालक-बालिका गृह में रखा गया है। उस समय खुलासा हुआ था कि भगवानपुरा जनपद के ग्राम मोहनपुरा निवासी माता-पिता और एक अन्य ने आर्थिक बदहाली के चलते एक गडरिये के हाथ तीन बच्चों को 45 हजार रुपए में गिरवी रख दिया था।इनका कहना हैशुरुआती जांच में एक बच्चे को मोहनपुरा निवासी बच्चे को 18 हजार में बेचना बताया गया है। वहीं आमल्यापानी निवासी बच्चे के माता-पिता गुजरात मजदूरी के लिए गए हैं, उन्हें सूचना कर बुलाया गया है। उनके आने के बाद ही मामले में और अधिक जानकारी मिलेगी। अमित सिंह, एसपी खरगोनबेबसी में उठाते हैं यह कदममोहनपुरा में बच्चों के अभिभावकों ने पूछताछ के दौरान बताया, कि वे बेबसी और गरीबी के कारण जिगर के टुकड़े परिवार से दूर कर देते हैं। क्यों कि कम जमीन के कारण उनके भषण-पोषण में परेशानी होती है। गडरिये उन्हें एकमुश्त 7 से 20 हजार रुपए तक एक बच्चे की एवज में दे देते हैं। ये बच्चे पढ़ाई-लिखाई छोड़कर मजबूरी में भेड़ चराते हैं। अभी भी कई बच्चे हैं लापतादिसंबर 2010 में भी देवास जिले के हाटपिपल्या से दो बच्चे भेड़पालकों के चुंगल से निकल भागे थे। ये बच्चे आदिवासी अंचल मुंडिया के रहवासी थे। अभिभावक ने इन बच्चों को 7 हजार रुपए में सौदा कर बेचा था। बकायदा ढाई हजार एडवांस लेकर इन बच्चों को सुपुर्द किया था। इस अंतराल में 100 से अधिक बच्चे भेड़ पालकों के ढेर में पहुंच गए हैं। ये बच्चे जिले के आदिवासी बहुल भीकनगांव, झिरन्या, भगवानपुरा आदि क्षेत्रों के हैं। भीकनगांव के सुंद्रेल, पलासी, पोई ग्राम पंचायत अंतर्गत कोडिय़ाखाल, डेहरी, चिकलवास, महूमांडला के फालियों से बच्चे बेचे गए। अभिभावकों के अनुसार ये बच्चे 8 से 10 हजार रुपए में भेड़ पालकों को सौंपे थे।

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