• सर्वमित्रा सुरजन महात्मा गांधी हिंदी लेखन पुरस्कार से सम्मानित

    नई दिल्ली ! राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित महात्मा गांधी हिंदी लेखन पुरस्कार अर्पण समारोह के मुख्य अतिथि सुख्यात कवि अरुण कमल ने पुरस्कृत लेखकों को अपनी भाषा में लिखने के लिए बधाई देते हुए कहा कि न्याय की प्रक्रिया तबतक अधूरी है, जब तक वह मनुष्य की मातृभाषा में न हो। मानवाधिकार भी अपनी भाषा में मिलना चाहिए। ऐसे में जब खुल कर लिखने की छूट दुनिया से खत्म हो रही है, तब भी ये लेखक लिख रहे हैं। यह चुनौतीपूर्ण है।...

    मानवाधिकार अपनी भाषा में मिलना चाहिएराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किया सम्मानितनई दिल्ली !   राष्ट्रिय  मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित महात्मा गांधी हिंदी लेखन पुरस्कार अर्पण समारोह के मुख्य अतिथि  सुख्यात कवि अरुण कमल ने पुरस्कृत लेखकों को अपनी भाषा में लिखने के लिए बधाई देते हुए कहा कि न्याय की प्रक्रिया तबतक अधूरी है, जब तक वह मनुष्य की मातृभाषा में न हो। मानवाधिकार भी अपनी भाषा में मिलना चाहिए। ऐसे में जब खुल कर लिखने की छूट दुनिया से खत्म हो रही है, तब भी ये लेखक लिख रहे हैं। यह चुनौतीपूर्ण है। देश की जानमानी साहित्यिक पत्रिका अक्षर पर्व की संपादक व मानवाधिकारों के लिए जानी पहचानी पत्रकार सर्वमित्रा सुरजन को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने महात्मा गांधी हिंदी लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया। मानवाधिकारों को लेकर हिंदी भाषा में लिखी गई चुनिंदा पुस्तकों में अपनी पुस्तक 'मीडिया, समाज और मानवाधिकारÓ में सर्वमित्रा सुरजन ने निठारी कांड, फलक की दर्दनाक मौत और उसके दर्द को न सिर्फ उकेरा,बल्कि मीडिया के मौजूदा स्वरूप में समाचारों में मानवाधिकारों को अधिक स्थान न दए जाने पर आईना भी दिखाया। सुरजन की व अन्य पुरस्कत पुस्तकों का पांच अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में गुजरात से आए दक्षिण बजरंगी छारा को देश की खानाबदोश जनजातियों की दुर्दशा पर लिखे नाटक 'बूधन बोलता हैÓ  के लिए सम्मानित किया गया। इसके अलाव निशांत सिंह को उनकी पुस्तक बाल शोषण और अपराध के लिए सम्मानित किया गया। दो वर्ष में दिए जाने वाले इन पुरस्कारों में शॉल, प्रतीक चिन्ह , 75 हजार रूपए व 50 हजार रुपए सम्मान स्वरूप प्रदान किए गए। वर्ष 2011 के लिए महात्मा गांधी हिंदी लेखन पुरस्कार से पुरस्कृत किए गए तीन में से दो लेखक दिल्ली के हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने सम्मानित लेखकों को शुभकामनाएं देते कहा कि मेरा मानना है कि मानव अधिकार से जुड़े मामलों पर लिखा साहित्य लोगों के दिमाग पर गहरी छाप छोड़ता है। इसलिए इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होने बताया कि जन-जन तक पहुंचाने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट से समझौता किया गया है कि पुस्तकों का तमिल, तेलुगू व मलयालम सहित देश की पांच भाषाओं में प्रकाशन किया जाए। धन्यवाद ज्ञापन एससी सिन्हा ने किया तो वहीं सी जोसेफ, संयुक्त सचिव जेएस कोचर और डॉ. रणजीत सिंह की उपस्थिति भी उल्लेखनीय थी। कार्यक्रम में डॉ. राधेश्याम भरतिया को 'भ्रूण हत्या से मानवाधिकार हनन  Ó पुस्तक 'कत्ल कच्ची कलियों काÓ के लिए सम्मानित किया गया। जबकि लेखक मनीष मोहन गोरे को 'मानव अधिकार और भारत क ा समग्र विकासÓ के लिए पांच-पांच हजार के पुरस्कार दिए गए।

अपनी राय दें