• 'मेक इन इंडिया' के बुलावे पर भारी सरकार की रिपोर्ट!

    नई दिल्ली ! एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व में घूम-घूम कर अपनी महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया का प्रचार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आयात-निर्यात के आंकड़े यह साफ कह रहे हैं कि विश्व में भारतीय उत्पादों की मांग धीमी पड़ रही है, सवाल उठता है कि भारत में बने भारतीय कंपनी के उत्पादों को विश्व में नापंसद किया जा रहा है तो विदेशी कंपनियां भारतीय माहौल पर कैसे भरोसा करें।...

    विश्व में धीमी पड़ी भारतीय उत्पादों की मांग नई दिल्ली !  एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व में घूम-घूम कर अपनी महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया का प्रचार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आयात-निर्यात के आंकड़े यह साफ कह रहे हैं कि विश्व में  भारतीय उत्पादों की मांग धीमी पड़ रही है, सवाल उठता है कि  भारत में बने भारतीय कंपनी के उत्पादों को विश्व में नापंसद किया जा रहा है तो विदेशी कंपनियां भारतीय माहौल पर कैसे भरोसा करें। मोदी को विश्व में मेक इन इंडिया का ढोल पीटने से पहले भारतीय उत्पादों की विश्व   में मांग बढ़े ऐसा तरीका ढ़ूंढऩा होगा।   सरकार के आंकड़ों कहते हैं  यूरोपीय देशों के मंदी से उबरने की धीमी गति के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारतीय उत्पादों की मांग कमजोर पडऩे से वर्ष 2014-15 में निर्यात लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका और यह इससे पिछले वर्ष की तुलना में 1.23 फीसदी घटकर 310.53 अरब डॉलर पर आ गया।  वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आयात-निर्यात के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 में कुल निर्यात 314.41 अरब डॉलर रहा था। वैश्विक स्तर पर जारी मंदी के बीच वर्ष 2014-15 में 320 से 325 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया था। कच्चे तेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई गिरावट से इस अवधि में आयात में 0.59 फीसदी की कमी आई है और यह वर्ष 2013-14 के 450.21 अरब डॉलर से घटकर 447.54 अरब डॉलर पर आ गया। पिछले वित्त वर्ष के दौरान तेल आयात में 16 फीसदी की कमी के बावजूद 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 8.96 फीसदी बढ़कर 137 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2013-14 में यह 135. 79 अरब डॉलर रहा था। वर्ष 2014-15 के दौरान 138.26 अरब डॉलर का तेल आयात किया गया जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 16.09 फीसदी कम है। हालांकि इस अवधि में गैर-तेल आयात 8.5 फीसदी बढ़कर 309.28 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष के अंतिम महीने मार्च में व्यापार घाटा 7.67 फीसदी बढ़कर 11.79 अरब डॉलर पर पहुंच गया जबकि मार्च 2014 में यह 10.95 अरब डॉलर रहा था। आलोच्य माह में कुल आयात 13.44 प्रतिशत घटकर 35.74 अरब डॉलर रहा। पिछले साल मार्च में यह 41.29 अरब डॉलर रहा था। मार्च माह में निर्यात 21.06 प्रतिशत घटकर 30.34 अरब  डॉलर के मुकाबले 23.95 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं निर्यात में 21 फीसदी कमी तथा गैर-तेल आयात में 11 फीसदी की बढ़ोतरी के कारण मार्च महीने में देश का व्यापार घाटा चार महीने के उच्चतम स्तर 11.80 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

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