सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान जरूरी : जेटलीनई दिल्ली ! वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर कालेधन से पैदा हो रही चुनौतियों का सामना करने के लिए इससे जुड़ी सूचनाओं का स्वत: आदान प्रदान ही एक मात्र उपाय है। जेटली ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक 'वसंत बैठकÓ के दौरान 'अंतरराष्ट्रीय टैक्स समस्याÓ पर आयोजित एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि कर चोरी और पैसे के अवैध प्रवाह को रोकने का एक मात्र उपाय यही है कि ऑटोमेटिक रूप से देशों के बीच वित्तीय खातों की सूचनाओं का आदान-प्रदान हो। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर 'कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्डÓ को पूरी दुनिया में लागू किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिन देशों ने इसे लागू करने की समय सीमा 2017 या 2018 तय नहीं की है, उन्हें भी बिना किसी देरी के इसे लागू करना चाहिए। कर चोरी करने के लिए विदेश में पैसा जमा करने और काले धन की समस्या को तभी हल किया जा सकता है जब वैश्विक स्तर पर इसे लागू किया जाए। वित्त मंत्री ने कहा कि ग्लोबल फोरम को सूचना के आदान-प्रदान पर कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड्स के क्रियान्वयन की निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर देश इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करे और आवश्यक कानूनी, नियामक ढांचा और व्यावहारिक सूचनाओं का आदान-प्रदान करे। उन्होंने तर्क दिया कि आग्रह पर सूचना आदान-प्रदान करने से भले ही पारदर्शिता में बेहतरी आई है, लेकिन इसकी संभवानाएं फिलहाल सीमित हैं। विदेशी वित्तीय केंद्र और कर पनाहगाह उस स्थिति में ही सूचना प्रदान करते हैं जब किसी खास मामले में जाँच आरंभ हो जाती है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा पिछली तिथि से कराधान कानून के इस्तेमाल को खारिज करते हुए कहा है कि इस बारे में कोई स्थाई कानून बनाना तो संभव नहीं है लेकिन यदि भविष्य की कोई सरकार इसका जोखिम उठाती है तो उसे उसकी भारी कीमत चुकानी होगी। जेटली ने कहा, जहां तक पिछली तिथि से कर लगाने का मुद्दा है, मेरा मानना है कि इस मामले में भारत का वर्ष 2011 का अनुभव काफी खराब रहा है और यदि भविष्य की कोई सरकार इस तरह का जोखिम उठाती है तो इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।