• 'भारत में घट रही लैंगिक विषमता'

    अदिस अबाबा ! इथियोपिया दौरे पर आए भारतीय सांसद तरुण विजय ने शनिवार को कहा कि उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के मामले में भारतीय महिलाओं में तेज और बड़ा परिवर्तन आया है तथा लैंगिक विषमता में भी तेजी से कमी आई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद तरुण विजय विश्व बैंक के पार्लियामेंटरी नेटवर्क के भी सदस्य हैं।...

    अदिस अबाबा !   इथियोपिया दौरे पर आए भारतीय सांसद तरुण विजय ने शनिवार को कहा कि उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के मामले में भारतीय महिलाओं में तेज और बड़ा परिवर्तन आया है तथा लैंगिक विषमता में भी तेजी से कमी आई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद तरुण विजय विश्व बैंक के पार्लियामेंटरी नेटवर्क के भी सदस्य हैं।उन्होंने आईएएनएस से कहा, "महिलाओं के खिलाफ अपराध बीमार मानसिकता वाले लोग करते हैं और इसका गरीबी और संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं है। ब्रिटेन, अमेरिका, स्वीडन जैसे विकसित देशों में भी महिलाओं के साथ दुष्कर्म की दर काफी ऊंची है। भारत में भी हम इससे दृढ़ता के साथ लड़ रहे हैं।"उन्होंने साथ में यह भी कहा कि उनकी पार्टी संसद एवं राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 फीसदी प्रतिनिधित्व दिए जाने के पक्ष में है।उन्होंने कहा, "भारत में करीब 49 फीसदी मतदाता महिलाएं हैं। भारतीय लोकतंत्र इन्हीं महिला मतदाताओं पर ही टिका हुआ है और वे देश का भविष्य तय करने में अहम भूमिका अदा करती हैं।"उन्होंने कहा कि संसद एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक-तिहाई प्रतिनिधित्व देने के प्रस्ताव वाला विधेयक अब चुनाव सुधार के अहम कारक के रूप में देखा जा रहा है।महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी सरकार की योजनाओं का ब्यौरा देते हुए तरुण ने कहा कि उनकी सरकार के केंद्र में मणिपुर जैसे राज्य हैं, जहां महिलाएं समाज में प्रभावी भूमिका रखती हैं।तरुण ने दूसरी ओर मीडिया पर निशाना साधते हुए कुछ पत्रकारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध को अधिक तवज्जो देने का आरोप लगाया।महिला सशक्तिकरण के तमाम प्रयासों के बावजूद भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अभी भी बेहद कम है। महिलाओं द्वारा राजनीति अपनाने में अभी भी लैंगिक बाधाएं जस की तस हैं।विश्व बैंक की ग्लोबल पार्लियामेंट्री यूनिट की अध्यक्ष नाया बाथिली के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ पुरानी परिस्थितियों में खास बदलाव नहीं आया है, हालांकि थोड़ा बदलाव तो हुआ है।बाथिली ने कहा, "महिलाएं अर्थव्यवस्था और समाज में अहम योगदान देती हैं तथा महिलाओं की पूर्ण भागीदारी के लिए उनका स्वस्थ होना जरूरी है। इसके बावजूद महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा हासिल करने में भेदभाव का सामना करना पड़ता है और हर साल बड़ी संख्या महिलाओं की मौत ऐसे रोगों के कारण हो जाती हैं, जिनका उपचार संभव है। हिंसा के कारण भी काफी संख्या में महिलाओं की मौत हो जाती है।"हाल में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत 189 देशों की सूची में 111वें स्थान पर है।

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