• यूजीसी को समाप्त करने की सिफारिश

    नई दिल्ली ! विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की समीक्षा के लिए मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने इस संस्था को समाप्त करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि यूजीसी अपना उद्देश्य पूरा करने में नाकाम रही है। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने यूजीसी के कामकाज की समीक्षा करने के लिए छह महीने पहले यह समिति गठित की थी। ...

    नई दिल्ली !   विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की समीक्षा के लिए मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने इस संस्था को समाप्त करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि यूजीसी अपना उद्देश्य पूरा करने में नाकाम रही है। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने यूजीसी के कामकाज की समीक्षा करने के लिए छह महीने पहले यह समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यूजीसी के कामकाज की आलोचना की है। समिति के अध्यक्ष और यूजीसी के पूर्व सदस्य हरि गौतम का कहना है कि अगर संभव हो तो यूजीसी को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। समिति ने 18 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यूजीसी को वर्ष 1956 में गठित किया गया था और उसे विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय कायम करने और विश्वविद्यालयीन शिक्षा के स्तर को बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आयोग भारत में विश्वविद्यालयों को मान्यता देने के साथ-साथ मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों को अनुदान देता है। एक  छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से गठित कमेटी ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में आज आ रही चुनौतियों से निपटने में यूजीसी नाकाम साबित हुआ है। कमेटी का मानना है कि यूजीसी में किसी तरह की सुधार की गुंजाइश अब नहीं बची है। रिपोर्ट में यूजीसी के कामकाज पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि यूजीसी शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखन में नाकाम रही है। विदित हो कि यूजीसी विगत में काफी विवादों में रहा है।     यही नहीं कई मुद्दों पर विवाद कुछ इस तरह बढ़ा कि मानव संसाधन विकास मंत्री  स्मृति ईरानी से भी जमकर टकाराव हुआ।     प्रेक्षकों के अनुसार, स्मृति शिक्षा में बड़े बदलाव करने की फिराक में हैं। कई मंचों से वो इस बात को खुलेआम कह भी चुकी हैं। जानकारी के अनुसार, ऐसे संकेत मिल  रहे हैं कि नीति आयोग की तर्ज पर यूजीसी को लेकर भी अंदरखाने मंथन चल रहा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार यूजीसी के भविष्य पर गंभीरता से विचार कर रहा है। आने वाले समय में इसके स्थान पर कोई दूसरी संस्था बनाई जा सकती है।  

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