• जम्मू-कश्मीर में कयामत की हो सकती है रात

    श्रीनगर ! कश्मीरियों के लिए आज की रात कयामत की रात हो सकती है क्योंकि मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आज रात और कल का दिन जबरदस्त बारिश लाएगा। नतीजतन जबरदस्त बारिश होने की चेतावनी के साथ ही बाढ़ का खतरा भी बढऩे लगा है। ऐसे में सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए कश्मीर खासकर श्रीनगर के राजधानी शहर में भगदड़ का माहौल है। ...

    फिर तेज बारिश के बीच मची है 'भगदड़'    श्रीनगर !   कश्मीरियों के लिए आज की रात कयामत की रात हो सकती है क्योंकि मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आज रात और कल का दिन जबरदस्त बारिश लाएगा। नतीजतन जबरदस्त बारिश होने की चेतावनी के साथ ही बाढ़ का खतरा भी बढऩे लगा है। ऐसे में सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए कश्मीर खासकर श्रीनगर के राजधानी शहर में भगदड़ का माहौल है। हालांकि सरकार अभी भी बाढ़ का खतरा टल जाने का ढिंढोरा पीट रही है पर लोग उसकी बातों पर ध्यान देने को इसलिए राजी नहीं हैं क्योंकि वे कश्मीर के मौसम विभाग की चेतावनी को इस बार नजरअंदाज नहीं करना चाहते हैं। दरअसल पिछली बार उन्होंने ऐसी चेतावनी को नजरअंदाज किया था और खास बात यह है कि एक लंबे अरसे से कश्मीर का मौसम विभाग मौसम के बारे में सटीक भविष्यवाणियां कर रहा है। कश्मीर घाटी में आज ताजा बारिश होने से घाटी में बाढ़ का खतरा फिर से बढ़ गया है, हालांकि आज दूसरे दिन भी झेलम नदी में जलस्तर में कमी देखी गई पर डल झील का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए खतरे के निशान को पार कर गया है। अधिकारियों ने बताया कि बारिश बीती रात से शुरू हुई थी और इसके अगले दो दिनों तक भी जारी रहने की आशंका है। इससे झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर फिर  से बढ़ सकता है। बाढ़ की स्थिति में कल से सुधार देखा गया, हालांकि इसके कारण 20 लोगों की मौत हो चुकी है।उन्होंने बताया कि दक्षिणी कश्मीर के संगम में झेलम में जलस्तर 11.70 फुट है, जो कि बाढ़ के स्तर 21 फुट से नीचे है। वहीं राम मुंशी बाग में यह 15.35 फुट पर बह रही है और वहां बाढ़ का स्तर 19 फुट है। एक अधिकारी ने कहा कि सुबह से ही जलस्तर में जबर्दस्त गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि सारी आपात योजनाएं तैयार हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को हटाने के लिए अस्थाई शिविरों को तैयार किया गया है।अधिकारी ने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की अतिरिक्त टीमों को पहले से ही तैयार रखा गया है। स्थिति से निपटने के लिए सेना घाटी के प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद के लिए कदम उठा रही है।सेना के एक अधिकारी ने बताया कि हमने प्रत्येक कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) में एक टुकड़ी (75 से 100 बलों की) निर्धारित की है, जो किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। अधिकारी ने बताया कि सेना, इंजीनियर, ईएमई और सैन्य चिकित्सा कोर को मिलाकर तीन बचाव समूहों को बादामी बाग छावनी, ओल्ड एअरफील्ड और जैनाकोट में स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया, निचले इलाकों में सेना के साथ पानी निकालने के सभी पंपों को भी रखा गया है। शनिवार से हो रही भारी बारिश के कारण बडगाम जिले के चदूरा इलाके में 20 लोगों की मौत हो गई है। भूस्खलन में फंसे एक व्यक्ति के भी मरने की आशंका जताई जा रही है हालांकि इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है। जम्मू क्षेत्र के उधमपुर में बाढ़ के तेज बहाव में बहने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।घाटी में पैदा हुई स्थिति को ध्यान में रखते हुए कश्मीर घाटी और जम्मू के विंटर जोन में चार अप्रैल तक की सभी परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। जेएंडकेबोर्ड की सेक्रेटरी वीणा पंडिता ने बताया कि बाढ़ को ध्यान में रखते हुए उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि 10वीं और 12वीं कक्षा के 1, 2, 3 और 4 अप्रैल को होने वाली परीक्षाएं रद्द की जाएंगी। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल को होने वाली परीक्षा निर्धारित समय पर ली जाएगी, जबकि बाकी परीक्षाओं की नई तिथि की घोषणा की जाएगी।आतंकी घुसपैठ और हमलों का खतरा बढासेना जम्मू कश्मीर में कई मोर्चों पर खतरों से निपट रही है। अगर भीतर आतंकी हमलों का खतरा है तो लगातार हो रही बारिशों के कारण उसे एलओसी और जम्मू सीमा पर पाक सेना के साथ-साथ आईएसआई से निपटने को भारी मशक्कत इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि कई महीनों से खराब बने हुए मौसम ने तारबंदी के साथ-साथ सुरक्षा ढांचों को जबरदस्त क्षति पहुंचाई है। पिछले कई महीने से राज्य में बना हुआ खराब मौसम अब आतंकियों के लिए वरदान बनता जा रहा है। खासकर जम्मू  सीमा पर आतंकियों के लिए यह मददगार बना हुआ है। खराब मौसम और बारिश की वजह से बार्डर के ढांचे को नुकसान पहुंचा है। कई जगहों पर बांध क्षतिग्रस्त हुए, फेंसिंग बह गई।निगरानी में लिए गए नालों से ध्यान भी हट गया। यही कारण है कि आतंकियों के लिए बाढ़ प्रभावित जम्मू सीमा साफ्ट टारगेट बन गई है और इसी से घुसपैठ कर आतंकी हमले की साजिश रची जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के पास आए इनपुट इस ओर इशारा कर रहे हैं।एक टीवी रिपोर्ट के मुताबिक हिजबुल मुजाहिद्दीन जम्मू कश्मीर के नेताओं को अपना निशाना बना सकता है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक आईएसआई इस नापाक साजिश में आतंकी संगठनों की मदद कर रहा है। आतंकियों के निशाने पर इस बार आर्मी कैंप और जम्मू कश्मीर के नेता हैं।रिपोर्ट के मुताबिक कुलगाम के मोहम्मद अफजल पारे, वाची विधानसभा से सीपीएम के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले जहूर अहमद और तारीगाम से मोहम्मद अब्बास पर खतरा ज्यादा है।बांडीपोरा और कुपवाड़ा के कुछ सेक्टर में सरहद के करीब लश्करे तैयबा और हिजबुल के आतंकियों को देखा गया है और अगले एक हफ्ते में घुसपैठ की कोशिश हो सकती है। उधर पुंछ सेक्टर में आतंकियों की हरकत और बढ़ गई है। जैशे मुहम्मद के पांच आतंकी गुल हदिक और मुहम्मद शौकत की अगुवाई में शहबाज पोस्ट के पास डेरा डालें है।इस बार आतंकी पुंछ जेल को निशाना बना सकते हैं। दरअसल पुंछ जेल में लश्कर समेत कई आतंकी संगठनों के खुंखार आतंकी बंद हैं। सूत्रों के मुताबिक पूरी साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है और साजिश के तहत अलग इलाके अलग संगठन संभाल रहे हैं।आतंकी संगठनों ने ओवर ग्राउंड वर्करों की मदद से इन जगहों की सूची तैयार की है। इसकी बाकायदा रैकी की गई है। यहीं से घुसपैठ करने का प्लान तैयार किया गया है। पिछले दिनों कठुआ और सांबा में हमला भी इसी साजिश का एक हिस्सा था। अभी दो हफ्ते पहले हुई बारिश में ही आतंकियों ने घुसपैठ कर ली थी।हीरानगर सेक्टर से घुसपैठ कर सैन्य कैंप पर हमला किया था। उन क्षेत्रों को सबसे अधिक टारगेट किया गया है, जहां पर बीएसएफ की मूवमेंट न के बराबर है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में घुसपैठ हो सकती है। सुरक्षा एजेंसियों के हाथ आतंकियों के सांबा सेक्टर में सुरंग बनाने की जानकारी भी पहुंची है।पहले भी इस क्षेत्र में कई बार सुरंगें बनने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लगातार बारिश होने के बाद जमीन में आई नमी को मुख्य हथियार बनाकर सुरंगें बनाई जा रही हैं, ताकि आसानी से घुसपैठ की जा सके।पहली अप्रैल से मौसम फिर बिगड़ चुका है। इसकी फिराक में आतंकी सांबा, कठुआ और आरएस पुरा के अलावा अखनूर सेक्टर में घुसपैठ की तैयारी में बैठे हैं। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि उक्त सीमा पर पिछले साल सितंबर में आई बाढ़ के कारण नुकसान पहुंचा था।इसमें से काफी सारा ढांचा अभी दुरुस्त नहीं किया गया। बाढ़ से कुछ स्थानों पर फेंसिंग बह गई, कुछ बंकर ढह गए, बाढ़ की वजह से कुछ जगहों पर खुले रास्ते बन गए हैं। यह सब आतंकियों के टारगेट पर है।

अपनी राय दें