• आजादी के 67 साल बाद भी 119 गांव राजस्व रिकार्ड में नहीं

    रायपुर ! छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी कोरबा के 117 और रायगढ़ के 2 गांवों का आजादी के 67 साल बाद भी नाम भू-अभिलेख में दर्ज नहीं है। मसाहिती गांव की श्रेणी में होने के कारण ये गांव केंद्र और राज्य सरकार की सुविधाओं से वंचित हैं। उपायुक्त संभागीय भू-अभिलेख अरविंद दीक्षित ने भी स्वीकार किया है कि ये 119 गांव मसाहिती गांव हैं। इनका सर्वेक्षण किया जा रहा है। मसाहिती गांव का मतलब राजस्व में जिन गांवों का नजरी नक्शा तो होता है पर सर्वे उनका नहीं हुआ होता है। ...

    रायपुर !  छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी कोरबा के 117 और रायगढ़ के 2 गांवों का आजादी के 67 साल बाद भी नाम भू-अभिलेख में दर्ज नहीं है। मसाहिती गांव की श्रेणी में होने के कारण ये गांव केंद्र और राज्य सरकार की सुविधाओं से वंचित हैं।  उपायुक्त संभागीय भू-अभिलेख अरविंद दीक्षित ने भी स्वीकार किया है कि ये 119 गांव मसाहिती गांव हैं। इनका सर्वेक्षण किया जा रहा है। मसाहिती गांव का मतलब राजस्व में जिन गांवों का नजरी नक्शा तो होता है पर सर्वे उनका नहीं हुआ होता है। मिली जानकारी के अनुसार आजादी के 67 सालों बाद भी कोरबा जिले के 117 तथा रायगढ़ जिले 2 गांव, इस तरह कुल 119 गांव हैं, जिनका राजस्व विभाग में कोई रिकार्ड नहीं है। इन गांवों में आजादी के पहले और आजादी के 67 साल बाद भी लोग निवास करते हैं। जमीनों पर इनका कब्जा है, खेती भी करते हैं, पर राजस्व रिकार्ड नहीं होने के कारण जमीन का खसरा-नक्शा तथा बी-वन नहीं बनता है। जाहिर है कि ये नहीं होने के कारण जमीनों की खरीदी-बिक्री भी लगभग नहीं होती है। राजस्व रिकार्ड में 119 गांव शामिल नहीं होने से यहां के निवासी केंद्र और राज्य की सभी योजनाओं से वंचित हैं। राजस्व रिकार्ड नहीं बनता है तो स्कूल, सड़क, शौचालय, कुआं, हैण्डपंप जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी ग्रामीण वंचित हैं। सबसे आश्चर्य तो यह है कि ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद इन सभी मसाहिती गांवों को राजस्व ग्राम बनाने के लिए पांच साल पहले से राजस्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण कराया जा रहा है। लेकिन अभी तक कुछ खास नहीं हो सका है। उपायुक्त संभागीय भू-अभिलेख अरविंद दीक्षित की माने तो गांवों का सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। स्टाफ की कमी के चलते सर्वे प्रभावित हो रहा है।

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