उपराष्ट्रïपति ने की शिक्षा प्रणाली में बदलाव की वकालतनई दिल्ली ! उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने आज कहा कि शिक्षण संस्थानों तक विद्यार्थियों की पहुंच न होना, शिक्षा में समान हिस्सेदारी न मिलना और गुणवत्ता का अभाव भारतीय शिक्षा प्रणाली की तीन प्रमुख समस्याएं हैं। अंसारी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश के विकास के बावजूद भारत में दाखिले का वैश्विक औसत बहुत कम है। प्रारंभिक और माध्यमिक स्तरों पर स्कूल छोड़ जाने वाले छात्रों की संख्या अब भी ज्यादा है। शिक्षा क्षेत्र में उच्च प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, कमजोर बुनियादी ढांचा और पुराने पड़ चुके पाठ्यक्रम जैसी समस्याएं आज भी बरकरार हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का जो हिस्सा शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों के रूप में जाता है, वह आवश्यकता से कम है। जामिया हमदर्द के 11वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा, सशक्तीकरण और नियोजन क्षमता विषय पर यहां अपने व्याख्यान में अंसारी ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और सशक्तीकरण के बीच प्रत्यक्ष संबंध हैं और देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, उच्च शिक्षण संस्थानों से उत्तीर्ण हो रहे स्नातकों को रोजागर के मामूली अवसर उपलब्ध होना। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन के बाद भारत में सबसे बड़ी कार्यशील जनसंख्या है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक हमारी जनसंख्या का 63 प्रतिशत भाग कार्यशील आयु वर्ग में होगा। यह जनसंख्या संरचना विकास की अपार संभावनाओं को इंगित करता है बशर्ते दो स्थितियों पर ध्यान दिया जाए। पहला शिक्षा और कौशल विकास के उच्च स्तर को प्राप्त किया जाए। दूसरा ऐसा माहौल तैयार किया जाए, जहां न केवल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े, बल्कि अच्छे रोजगार के अवसर भी पैदा हों। इससे समाज के कमजोर वर्गों और युवाओं की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। चूंकि उच्च शिक्षा केंद्र और राज्य दोनों के अधीन है इसलिए गुणवत्ता सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जाने की जरूरत है।