सवालों में टीकाकरण अभियाननई दिल्ली/जालंधर ! भारत में हर साल पैदा होने वाले 2.7 करोड़ बच्चों में से करीब 18.3 लाख बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन मनाने से पहले ही मर जाते हैं। भारत में रिकॉर्ड तौर पर 5 लाख बच्चे टीकाकरण से ठीक होने वाली बीमारियों के चलते हर साल दम तोड़ देते हैं। जिनमें ज्यादातर बच्चे कम आय अर्जित करने वाले परिवारों के होते हैं। माता-पिता अथवा अभिभावकों की इन मुहिमों से अनभिज्ञता के कारण भारत के 30 फीसदी बच्चे हर साल पूर्ण टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं जिसके कारण टीकाकरण से ठीक होने वाली बीमारियों के कारण ही बाल मृत्युदर सबसे अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 89 लाख बच्चों को या तो केवल कुछ ही टीके लग पाते या तो कई बिल्कुल ही इससे वंचित रह जाते हैं। भारत में प्रत्येक 3 बच्चों में एक बच्चा यूआईपी के तहत उपलब्ध पूर्ण टीकाकरण का लाभ नहीं ले पाता है।शहरी क्षेत्रों के पांच फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में आठ फीसदी बच्चे टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। आंशिक टीकाकरण या इससे पूरी तरह वंचित बच्चों को सात बीमारियों (डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के मकसद से 25 दिसंबर, 2014 को मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इसके अलावा, देश के चुनिंदा जिलों में जापानी इन्सेफेलाइटिस और हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा ग्रुप बी के खिलाफ टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। टिटनेस से बचाने के लिए गर्भवती महिलाओं का भी टीकाकरण कराया जाएगा। 2020 तक सभी बच्चों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ इसके पहले चरण को लागू करने के दौरान 201 जिलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है। इनमें 82 जिले उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के हैं। आंशिक तौर पर टीकाकरण के दायरे में आने वाले या इससे पूरी तरह वंचित रहने वाले देश के 25 फीसदी बच्चें इन्हीं चार राज्यों के 82 जिलों में हैं। इसके अतिरिक्त दूसरे चरण में 297 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 2014 में 65 फीसदी बच्चों का टीकाकरण किया गया और अगले पांच वर्ष में इसे 90 फीसदी के स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य है। चार विशेष टीकाकरण अभियान 2015 के मार्च और जून के बीच चलाए जाएंगे तथा दो साल से कम उम्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टेटनस टॉक्साइड के टीके लगाए जाएंगे। ये टीकाकरण अभियान लगातार चार महीनों तक चलाए जाएंगे। हर महीने सात से 10 दिन तक यह कार्यक्रम चलेगा। भारत का व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम देश में सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में से एक है जिसके तहत देश भर के 35 राज्यों में 27,000 वैक्सीन भंडारण इकाइयों के साथ एक व्यापक वैक्सीन वितरण प्रणाली काम कर रही है। सरकार ने इसके लिए विभिन्न बाहरी एजेंसियों मसलन डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और रोटरी से तकनीकी सहायता की मांग की है ताकि कार्यक्रम के उद्देश्य को हासिल किया जा सके। मिशन इंद्रधनुष को सात रंगों से दर्शाया गया है। इसका मकसद सात बीमारियों डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपटाइटिस-बी के खिलाफ 2020 तक हर बच्चे को टीकाकरण के दायरे में लाना है चाहे वह आंशिक रूप से प्रतिरक्षण का लाभ लिया हो या उससे पूरी तरह वंचित रह गया हो।