• दस राइस मिलरों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश

    रायपुर ! कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं करने वाले जिले के 10 राइस मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने व 17 मिलरों के खिलाफ वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं। इन मिलरों से करीब 45 करोड़ वसूल किया जाना बकाया है। वर्ष 2013-14 में लगभग 2 लाख क्ंिवटल धान इन्हें चावल बनाने के लिए दिया गया था। रायपुर जिले में 3 लाख क्ंिवटल धान पिछले वर्ष की अब तक मिलिंग नहीं हो पाई है। ...

        कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं   17 अन्य से वसूली करने के आदेश    मिलरों से 45 करोड़ वसूल किया जाना है शासन को    दो लाख क्विंटल धान दिया गया था चावल बनाने    राइस मिलरों का कहना है 15 अप्रैल तक दिया है समयरायपुर !   कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं करने वाले जिले के 10 राइस मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने व 17 मिलरों के खिलाफ वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं। इन मिलरों से करीब 45 करोड़ वसूल किया जाना बकाया है। वर्ष 2013-14 में लगभग 2 लाख क्ंिवटल धान इन्हें चावल बनाने के लिए दिया गया था। रायपुर जिले में 3 लाख क्ंिवटल धान पिछले वर्ष की अब तक मिलिंग नहीं हो पाई है। यह धान मिलरों के पास है। प्रशासन ने जिले के कुल 27 राइस मिलों को चावल जमा करने पूर्व में नोटिस जारी किया गया था। वहीं दूसरी ओर मिलरों का कहना है कि 15 अप्रैल तक चावल जमा करने का समय उन्हें दिया गया है। उसके बीच में ही इस तरह की कार्रवाई किया जाना गलत है।राज्य शासन ने किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदा था। कस्टम मिलिंग के लिए उन्हें राइस मिलरों को दिया गया था, वर्ष 2013-14 का धान मिलिंग कर इन्हें दिसम्बर तक जमा करना था। इसके बावजूद चावल भाखानि के गोदामों में नहीं पहुंचाया गया। इसी बीच मार्कफेड की अनुशंसा पर भारतीय खाद्य निगम ने चावल जमा करने की अवधि फरवरी तक के लिए बढ़ाई थी। उस समय करीब 500 करोड़ का चावल वर्ष 2013-14 का जमा करना बकाया था। चावल जमा नहीं करने पर इसी दौरान जिला प्रशासन की ओर से रायपुर जिले के मिलरों को नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने नोटिस का जवाब तक नहीं दिया। शासन के निर्देश पर मिलरों को उनकी कस्टम मिलिंग क्षमता के आधार पर शर्तों के तहत धान प्रदाय किया गया था। समय अवधि के भीतर चावल नहीं जमा कराया गया। नोटिस का जवाब भी नहीं देने पर खाद्य विभाग के अधिकारियों ने सर्वाधिक बकायादारों के यहां मिल में जाकर निरीक्षण किया था। मिलरों के गोदाम से शासन का धान गायब पाया गया। बताया जाता है कि 150 रुपए प्रति क्ंिवटल की दर से सुरक्षा निधि जमा कर मिलरों ने धान लिया था। उस समय ख्ुाले बाजार में चावल का रेट अधिक था। अधिकांश मिलरों ने चावल बनाकर बेच दिया।जिला प्रशासन ने सोमवार को सर्वाधिक 27 बकायादार राइस मिलरों के नाम जारी कर इनसे वसूली करने के निर्देश तहसीलदारों को दिए गए  हैं। 10 राइस मिलरों के खिलाफ अधिकतम राशि वसूल किया जाना है, उनके विरूद्ध थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। इनमें तायल फूड खरोरा, मंजू एग्रो प्रा. लि. रायपुर, ऐश्वर्या राइस इंडस्ट्रीज खरोरा, दाऊजी चावल उद्योग खरोरा, भामराज एंड संस खरोरा, मोहन राइस मिल आमासिवनी रायपुर, राकेश राइस मिल खरोरा, अंशी फूड्स गिधौरी रायपुर व जनता राइस मिल खरोरा शामिल है। इन्होंने करीब 2 लाख क्ंिवटल धान उठाया था। जिसका चावल जमा नहीं किया। इसकी कीमत 45 करोड़ रुपए बताई जा रही है।  जिन राइस मिलरों से वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं। उनमें दीपक राइस मिल आरंग, निर्मला राइस प्रा. लि. अभनपुर, हरिओम चावल उद्योग तिल्दा, भारती राइस इंडस्ट्रीज तिल्दा, नीलम ट्रेडर्स तिल्दा, हर्षा राइस मिल जरौदा, मां मावली राइस इंडस्ट्रीज संकरी, रायपुर, छग राइस इंडस्ट्रीज आमासिवनी रायपुर, एमएल एग्रोटिक खरोरा, श्री सांई इंडस्ट्रीज मोवा रायपुर, ओम राइस टेक प्रा.लि. दौंदेकला रायपुर, सहदेव राइस मिल तिल्दा, मे. निर्मला एसोसिएशन रायपुर, अग्रवाल फूड्स तिल्दा, ओम राइस मिल तिल्दा, शंकर राइस मिल आरंग व अग्रसेन इंडस्ट्रीज आमासिवनी रायपुर शामिल है। कृषि सचिव से होगी शिकायतजिला प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरोध में राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी शीघ्र ही कृषि सचिव से मिलकर शिकायत करेंगे। मार्कफेड की अनुशंसा पर भाखानि ने 15 अप्रैल तक पिछले वर्ष का चावल जमा करने अनुमति प्रदान की है। समय अवधि रहने के बावजूद कार्रवाई किए जाने से मिलर आक्रोशित हंै।

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