• धुआं आग में तब्दील, अहम में फंसी आप

    नई दिल्ली ! आम आदमी पार्टी (आप) ने अभी पिछले ही महीने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद सरकार बनाई थी, लेकिन उसी पार्टी ने अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण- को आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों आनंद कुमार और अजीत झा को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है। योगेंद्र ने बैठक से बाहर आने के बाद कहा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है। ...

    राष्टï्रीय कार्यकारिणी में बवाल, हाथापाई  योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण हुए बाहर  नई दिल्ली !   आम आदमी पार्टी (आप) ने अभी पिछले ही महीने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद सरकार बनाई थी, लेकिन उसी पार्टी ने अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण- को आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों आनंद कुमार और अजीत झा को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है। योगेंद्र ने बैठक से बाहर आने के बाद कहा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है। वहीं प्रशांत ने कहा कि जो लोग केजरीवाल से असमत थे, उन्हें पीटा गया और उन्हें बैठक से निकाल दिया गया। योगेंद्र और प्रशांत ने केजरीवाल को एक अराजक व्यक्ति करार दिया और उन पर पार्टी के सिद्धांतों से दूर जाने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ आप ने उन पर दिल्ली चुनाव में पार्टी को हराने की कोशिश का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में करीब 300 लोग मौजूद थे, जहां दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के साथ ही 2012 में अस्तित्व में आई पार्टी के दो प्रमुख संस्थापक सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिए गए। आप के कई कार्यकर्ता भी बैठक स्थल के बाहर मौजूद थे। जिनके हाथों में योगेंद्र और प्रशांत के विरोध में लिखी तख्तियां मौजूद थीं और उनका कहना था कि वे पार्टी के हित में वहां आए हैं। एक तख्ती पर लिखा था, एकजुट रहें और दूसरे पर लिखा था अरविंद केजरीवाल हम आपके साथ हैं। आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा कि 247 सदस्यों ने चार सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के पक्ष में वोट किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ आठ ने ही विरोध किया, जबकि दो ने लिखित विरोध दर्ज कराया। 54 सदस्यों ने कोई राय जाहिर नहीं की। योगेंद्र ने इससे पहले बैठक के दौरान उन्हें हटाने के लिए सही तरीके से वोटिंग न कराने का दावा किया था। उन्होंने कहा, यह लोकतंत्र की हत्या है। सदस्यों और आगंतुकों में कोई अंतर नहीं था।

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