• 'देश के स्वर्णिम इतिहास से प्रेरणा लें वैज्ञानिक'

    नई दिल्ली ! विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि भारत पहली से 17वीं शताब्दी तक हर मामले में दुनिया का सरताज था और वैज्ञानिकों को देश के इस स्वर्णिम इतिहास से प्रेरणा लेते हुए भविष्य को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। डॉ. हर्षवर्धन ने यहां राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) में शीर्ष मापिकी प्रयोगशाला का उद्घाटन करने के बाद कहा कि पहली से 17वीं शताब्दी तक भारत दुनिया में हर मामले में नंबर एक था।...

    हमारी प्रयोगशालाएं और वैज्ञानिक दुनिया में सर्वश्रेष्ठ   : हर्षवर्धननई दिल्ली !  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि भारत पहली से 17वीं शताब्दी तक हर मामले में दुनिया का सरताज था और वैज्ञानिकों को देश के इस स्वर्णिम इतिहास से प्रेरणा लेते हुए भविष्य को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। डॉ. हर्षवर्धन ने यहां राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) में शीर्ष मापिकी प्रयोगशाला का उद्घाटन करने के बाद कहा कि पहली से 17वीं शताब्दी तक भारत दुनिया में हर मामले में नंबर एक था। हमारे पूर्वज महाज्ञानी थे और ज्योतिष, कला, संस्कृति, औषधि, उद्योग, वाणिज्य और अर्थशास्त्र में भारत का दबदबा था। उन्होंने कहा,  ज्ञान हमारी जीन में है। हमारी प्रयोगशालाएं और वैज्ञानिक दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं।  उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया का नंबर एक देश बनने की क्षमता है और दुनिया भी इस बात को मानती है। दुनिया में भारतीय वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का सम्मान है। भारतीय डॉक्टरों ने रोटा वायरस का टीका बनाया है जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमत से छह गुना कम है। डॉ़ हर्षवर्द्धन ने कहा कि वैज्ञानिकों को जनता की समस्याओं का किफायती समाधान निकालने के लिए काम करना चाहिए। इसके लिए ढर्रे से बाहर सोचने की जरूरत है। अगर किसी वैज्ञानिक शोध से लोगों का जीवन बेहतर होता है तभी सही मायनों में उसकी अहमियत है। वहीं  एनपीएल के निदेशक ए सेनगुप्ता ने बताया कि शीर्ष मापिकी प्रयोगशाला में मौजूद एटॉमिक फाउंटेन क्लॉक इतनी सटीक है कि यह दस करोड़ वर्षों में मात्र एक सेकेंड आगे या पीछे होती है। इस तरह भारत ने इस मामले में चीन को पछाड़ दिया है। दुनिया के कुछ विकसित देशों के पास ही यह तकनीक मौजूद है। समय की बारीकी से गणना के कारण ही भारत का मंगलयान मिशन सफल हो पाया था। शीर्ष मापिकी प्रयोगशाला में कई प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें मीटर, किलोग्राम, सेकेंड, केल्विन, एम्पीयर, केंडेला और मोल पर शोध हो रहा है। कुल 12000 वर्ग मीटर में फैली इस तीन मंजिला इमारत को 60 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इमारत में अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जरूरत के हिसाब से 20 से 23 डिग्री सेल्सियस तक तापमान निधार्रित किया गया है। इस इमारत पर कम्पन का कोई असर नहीं होता है। भूकंप आने और जेट विमान के करीब से गुजरने की स्थिति में भी यह अप्रभावित रहती है। श्री सेनगुप्ता ने कहा कि एनपीएल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया, स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छ भारत कार्यक्रम में मदद करने के लिए काम किया जा रहा है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक एम ओ गर्ग ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों को देश में होने वाली वैज्ञानिक उपकरणों और साजोसामान की आपूर्ति में 2022 तक 50 प्रतिशत कटौती करने के लिए काम करना चाहिए। इस अवसर पर मौजूद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री वाई एस चौधरी ने कहा कि एनपीएल को अपनी उपलब्धियों को पूरी दुनिया को ,विशेषकर छात्रों को दिखाना चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि प्रयोगशाला को निजी कंपनियों को भी शोध में जोडऩा चाहिए ताकि सरकार पर उसकी निर्भरता कम हो।

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