• मुख्यमंत्री केजरीवाल को पद से हटाने की साजिश

    नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीती आम आदमी पार्टी (आप) की फजीहत कराकर कर विभाजन की अदृश्य रेखा खींच चुके असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अपनी मर्जी चलाने व पार्टी के अंदर लोकतंत्र को दबाने का आरोप लगाया और सफाई दी कि यह सब वे पार्टी को बचाने के लिए कर रहे हैं। ...

    प्रशांत, योगेंद्र ने केजरीवाल पर लगाया तानाशाही का आरोप नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीती आम आदमी पार्टी (आप) की फजीहत कराकर कर विभाजन की अदृश्य रेखा खींच चुके असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अपनी मर्जी चलाने व पार्टी के अंदर लोकतंत्र को दबाने का आरोप लगाया और सफाई दी कि यह सब वे पार्टी को बचाने के लिए कर रहे हैं। आप ने गुरुवार रात पार्टी के दोनों असंतुष्ट नेताओं के राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफे की घोषणा की थी, लेकिन दोनों नेताओं ने इस्तीफे का खंडन किया था।दोनों असंतुष्ट नेताओं ने कहा कि अगर उनकी पांच मांगें अरविंद केजरीवाल मान लें तो वे पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। उधर, केजरीवाल के समर्थकों ने आरोप लगाया कि योगेंद्र और प्रशांत मुख्यमंत्री को पद से हटाने की साजिश रच रहे हैं। प्रशांत व योगेंद्र ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन किया। पार्टी के संस्थापक सदस्य योगेंद्र ने कहा, "हमने केजरीवाल को किसी भी पद से हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। हम पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि हम केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजकपद से हटाना चाहते हैं, यह बात बकवास व निराधार है।"दोनों असंतुष्टों का कहना है कि केजरीवाल पार्टी में निरंकुश तरीके से काम कर रहे हैं और कोई विरोधी स्वर सुनना नहीं चाहते। यादव ने कहा, "हां, हमने केजरीवाल को अविवेकपूर्ण व जल्दबाजी में उठाए जाने वाले कदमों के प्रति आगाह किया था और उस पर सवाल उठाए थे। स्वराज के सिद्धांत पर बनी पार्टी में ऐसा करना कोई गुनाह है?"प्रशांत ने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाना चाहते थे, जबकि कई इसका विरोध कर रहे थे।उन्होंने कहा, "लोकसभा चुनाव के बाद ऐसी बात की जा रही थी कि आप को कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए। इस पर राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक बुलाई गई और इसके पांच सदस्यों ने इस पर विरोध जताया तथा चार ने समर्थन किया।"प्रशांत के मुताबिक, "अरविंद ने कहा कि बतौर राष्ट्रीय संयोजक उनके पास अंतिम फैसला लेने का अधिकार है और उन्होंने दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन लेने का फैसला किया है। हालांकि, हमने इसका विरोध किया और मामला राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष रखा गया। वहां भी पार्टी के अधिकांश सदस्यों ने इसका विरोध किया। अरविंद ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसे संगठन में काम नहीं किया, जहां उनकी बात न मानी जाती हो।"योगेंद्र ने कहा कि वह और प्रशांत उस आंदोलन की मूल भावना को बचाने के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसने 'आप' को जन्म दिया। योगेंद्र ने कहा, "यह (आप) एक सामान्य पार्टी नहीं है। यह राजनीतिक तंत्र से गंदगी हटाने, भ्रष्टाचार के खात्मे और सत्ता आम लोगों को सौंपने के एक आंदोलन से जन्मी है। लोगों को इस पार्टी से उम्मीदें हैं। लेकिन पिछले एक महीने में हुई कई गतिविधियों ने कई लोगों को निराश किया है। हम आंदोलन की मूल भावना को बचाने के लिए लड़ रहे हैं, जिसने इस पार्टी को जन्म दिया है।"दोनों ने पांच मांगों-पार्टी के अंदर पारदर्शिता, पार्टी की स्थानीय इकाइयों को स्वायत्तता, भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल, आप के अंदर आरटीआई के इस्तेमाल और मुख्य मामलों में किसी गुप्त मत का इस्तेमाल न करने पर जोर डाला। योगेंद्र ने कहा कि यदि पार्टी संयोजक पांच मांगें मानने के लिए तैयार हैं, तो वह और प्रशांत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे।आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को होनी है।

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