• देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की जरूरत : मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना होगा। लोगों की बढ़ रही आवश्यकताओं को मौजूदा स्रोतों से पूरा करने के लिए इस दिशा में नए मार्ग तलाशने होंगे। मोदी ने यहां विज्ञान भवन में 'ऊर्जा संगम 2015' सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान कहा, "अपने लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराने की दिशा में हमें आत्मनिर्भर होने की जरूरत है।"...

    नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना होगा। लोगों की बढ़ रही आवश्यकताओं को मौजूदा स्रोतों से पूरा करने के लिए इस दिशा में नए मार्ग तलाशने होंगे। मोदी ने यहां विज्ञान भवन में 'ऊर्जा संगम 2015' सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान कहा, "अपने लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराने की दिशा में हमें आत्मनिर्भर होने की जरूरत है।"उन्होंने लोगों से स्वत: अपनी ईंधन सब्सिडी छोड़ने का भी आह्वान किया। मोदी ने कहा, "वे लोग जिन्हें एलपीजी सब्सिडी की जरूरत नहीं है और वे बिना सब्सिडी के बगैर अपना जीवनयापन करने में सक्षम हैं, उन्हें इसे छोड़ देना चाहिए। मैं आपसे इस अभियान से जुड़ने का आह्वान करता हूं। ईंधन सब्सिडी छोड़ दीजिए। एक रिकॉर्ड स्थापित कीजिए। जो सब्सिडी आप छोड़ेंगे, उससे आगे चलकर गरीबों को लाभ मिलेगा।"उन्होंने कहा, "लोग पहले से ही अपनी सब्सिडी छोड़ रहे हैं। 2.8 लाख से अधिक उपभोक्ताओं ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी है, जिससे 100 करोड़ रुपये की बचत होगी।"उन्होंने 2022 तक तेल और गैस का आयात घटा कर 67 प्रतिशत करने और 2030 तक इसे घटा कर 50 प्रतिशत करने का भी आह्वान किया। मोदी ने कहा, "हम 2022 में अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे। आज, हम 77 प्रतिशत तेल और गैस का आयात करते हैं। क्या हम देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान देने वाले सेनानियों को श्रद्धांजलि के रूप में 2022 तक तेल और गैस का आयात कम से कम 10 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रख सकते हैं।"उपभोक्ताओं तक सीधे सब्सिडी उनके खाते में पहुंचाने के लिए जन धन योजना के तहत 12 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं।प्रधानमंत्री ने कहा, "भ्रष्टाचार से मुकाबला करने के लिए यदि एक संस्थानिक तंत्र, पारदर्शी तंत्र और नीति आधारित प्रणाली अपनाई जाती है तो हम नुकसान को रोक सकते हैं और यह नकदी हस्तांतरण से सिद्ध हो गया है। मोदी के मुताबिक, भारत और मध्यपूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच ऊर्जा गलियारों को विकसित करने की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन 'ऊर्जा संगम 2015 : शेपिंग इंडियाज एनर्जी सिक्युरिटी' में कैबिनेट मंत्रियों, नीति निर्माताओं और ऊर्जा कंपनियों व अकादमियों के वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने हिस्सा लिया।

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