भूमि अधिग्रहण पर बचाव की मुद्रा में केंद्र सरकार नई दिल्ली ! भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के मुद्दे पर अन्ना हजारे की पदयात्रा की घोषणा से घवराई केंद्र सरकार बचाव की मुद्रा में आई है। सरकार चाहती है, कि अन्ना इसमें संशोधन सुझा दें, जिसे वे स्वीकार कर इस आंदोलन को टाल सकें, पर अन्ना हजारे ने साफ कर दिया है, कि उन्हें इस अध्यादेश की वापसी से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। हो सकता है, अपनी किसान विरोधी छवि से परेशान सरकार इस अध्यादेश को संसद के मौजूदा सत्र में पेश न करे। इसी बीच किसान संगठनों व जनसंगठनों के संयुक्त मोर्चे ने 23 मार्च शहीद-ए-आजम भगत सिंह की शहादत दिवस को भू-अधिकार दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। बता दें, कि अन्ना हजारे ने साफ कहा है, कि केंद्र सरकार अगर अध्यादेश वापस नहीं लेती है और इसे विधेयक के रूप में संसद में पेश करने की कोशिश करती है, तो वे इसके खिलाफ सेवाग्राम वरधा से दिल्ली तक पदयात्रा निकालेंगे। इसके बाद इसी दिन रामलीला मैदान में जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से घबराई सरकार ने नितिन गडकरी को अन्ना से बात करने के लिए अधिकृत किया है। अन्ना हजारे ने भी कहा था, कि उनके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। कल जब राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना वक्तव्य दे रहे थे, तब भी उनकी चिंता साफ नजर आ रही थी। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया, कि वे संशोधन दें। हालांकि प्रधानमंत्री का रुख अन्य किसी अध्यादेश को लेकर इस प्रकार का नहीं है। टीम अन्ना के सदस्य किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम के अनुसार सरकार ने अन्ना हजारे से कहा है, कि वे क्या-क्या संशोधन चाहते हैं, बता दें, उन्हें शामिल किया जाएगा। फिलहाल अन्ना हजारे ने इससे सरकार से साफ कह दिया है, कि वे पहले इस अध्यादेश को वापस लें। इसी बीच अन्ना की 9 मार्च को वरधा में होने वाली बैठक में 15 सदस्यों को आमंत्रित किया गया है, वे लोग मिलकर अन्ना हजारे की पदयात्रा की रुपरेखा तय करेंगे। इसी दौरान वरधा में किसान मुद्दों पर काम करने वाले जनसंगठनों की तीन दिवसीय बैठक भी होगी। इस बात की संभावना है, कि अन्ना हजारे इन जनसंगठनों से भी बात करें। यह लड़ाई सामुहिक नेतृत्व में लड़ी जा रही है, इसलिए इसे व्यापक बनाना जरुरी है। जो संगठन सीधे अन्ना की पदयात्रा में शामिल नहीं होंगे, उनसे भी इस पदयात्रा में सहयोग की अपील की जा सकती है। इसी बीच वामदलों के किसान संगठनों और जनसंगठनों ने 23 मार्च को भू-अधिकार दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इन संगठनों की बैठक 13 मार्च को दिल्ली में होगी, जिसमें आगे के आंदोलन की रुपरेखा तय की जाएगी। इस बैठक में हन्नान मुल्ला, अतुल, सुनीत चौपड़ा, मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम सहित अन्य किसान नेताओं व जनसंगठनों के प्रतिनिधी उपस्थित रहेंगे। सरकार ने बिल पर अन्ना से मांगे सुझाव पहली बार विधेयक पर सरकार का नरम रुखविधेयक वापसी पर अड़े अन्ना हजारे किसान संगठन 13 को करेंगे बैठक, बनेगी रणनीति