• डालमिया 10 साल बाद दोबारा चुने गए बीसीसीआई अध्यक्ष

    दिग्गज क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया की 10 साल बाद एक बार फिर से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई)के अध्यक्ष पद पर वापसी हुई गै। वह सोमवार को आधिकारिक तौर पर बीसीसीआई केअध्यक्ष चुन लिए गए। डालमिया का चयन यहां आयोजित वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में हुआ। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पूर्व अध्यक्ष डालमिया 2004 में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटे थे। ...

    चेन्नई| दिग्गज क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया की 10 साल बाद एक बार फिर से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई)के अध्यक्ष पद पर वापसी हुई गै। वह सोमवार को आधिकारिक तौर पर बीसीसीआई केअध्यक्ष चुन लिए गए। डालमिया का चयन यहां आयोजित वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में हुआ। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पूर्व अध्यक्ष डालमिया 2004 में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटे थे। बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए बोर्ड के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार का गुट आमने-सामने था। माना जा रहा है कि 74 वर्षीय डालमिया को दोनों गुटों का समर्थन प्राप्त है। डालमिया के अलावा, हरियाणा क्रिकेट संघ के प्रमुख अनिरुद्ध चौधरी बोर्ड के नए कोषाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अनुराग ठाकुर सचिव के रूप में चुने गए हैं।पवार गुट के अनुराग ने सचिव पद का चुनाव एक मत के अंतर से जीता। वह बड़ौदा के संजय पटेल के खिलाफ खड़े थे जिन्हें श्रीनिवासन का करीबी माना जाता है। कोषाध्याक्ष पद के लिए हुए चुनाव में श्रीनिवासन गुट के अनिरुद्ध ने पूर्व बीसीसीआई उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश के राजीव शुक्ला को हराया। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार इस बार चुनाव के लिए उम्मीदवारों को नामांकित करने की बारी पूर्व क्षेत्र संघो की थी। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले की सुनवाई करते हुए श्रीनिवासन को बीसीसीआई के चुनाव से दूर रहने को कहा था। श्रीनिवासन तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) से नामांकित थे।सर्वोच्च न्यायालय में फिलहाल आईपीएल से जुड़े मामले की सुनवाई जारी है और न्यायालय ने श्रीनिवासन पर 'हितों के टकराव' का हवाला देते हुए चुनाव से दूर रहने को कहा था। श्रीनिवासन बीसीसीआई के अध्यक्ष रहते हुए आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स के भी मालिक रहे जिसकी न्यायालय ने आलोचना की। पूर्व आईसीसी प्रमुख और 2005 से 2008 के बीच बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे शरद पवार की भी नजरें अध्यक्ष पर थीं लेकिन पूर्व क्षेत्र से उन्हें कोई भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं मिला। इस कारण वह नामांकन नहीं कर सके थे।

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