• भारत को मुंहतोड़ जवाब देने से नहीं चूकेगा पाकिस्तान

    नई दिल्ली ! नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन करने के बाद जब पाकिस्तान को उसका मुहंतोड़ जवाब मिल जाता है और उसके घुसपैठिए गिरफ्त में आ जाते हैं तो वह आग बबूला हो उठता है। पाकिस्तान को पक्के सुबूत दिए जाते हैं तो वह इनकार कर देता है। उसके बाद पाकिस्तान में फिर से भारत विरोधी मुहिम चलाई जाती है ...

     पाक सेना की चेतावनी को स्थानीय मीडिया ने सराहा संघर्ष विराम को लेकर पाक सेना ने भारत को दी थी चेतावनीनई दिल्ली !  नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन करने के बाद जब पाकिस्तान को उसका मुहंतोड़ जवाब मिल जाता है और उसके घुसपैठिए गिरफ्त में आ जाते हैं तो वह आग बबूला हो उठता है। पाकिस्तान को पक्के सुबूत दिए जाते हैं तो वह इनकार कर देता है। उसके बाद पाकिस्तान में फिर से भारत विरोधी मुहिम चलाई जाती है और पाकिस्तानियों को यह बताने की कोशिश की जाती है कि भारत हमारे खिलाफ जंग के लिए उतारू है। यह काम पाकिस्तान की सेना करती है। लेकिन इस बार नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी और संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं को लेकर भारत को दी गई पाकिस्तानी सेना की चेतावनी को पाकिस्तानी अखबारों ने भी खासी अहमियत दी है। पाकिस्तानी अखबार नवाए वक्त का संपादकीय है- भारत को मुंह तोड़ जवाब देना वक्त का तकाजा है। अखबार के मुताबिक, जनरल राहील शरीफ ने कहा कि भारत बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रहा है। इससे न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो रही है। बल्कि दहशतगर्दी के खिलाफ जारी अभियान को भटकाने की कोशिशें भी की जा रही हैं। उर्दू अखबारों के निशाने पर भी भारत है। अखबार लिखता है कि अमेरिका भी उसे नहीं रोकता, इसलिए भारत को मुंह तोड़ जवाब देने में कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तानी मीडिया के निशाने पर मोदी सरकार है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के इस बयान को संपादकीय का हिस्सा बनाया है कि भारत किसी खुशफहमी में न रहे। अखबार के मुताबिक, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सरहद पर गोलाबारी और फायरिंग का सिलसिला शुरू हो गया। मोदी सरकार के अब तक के कदमों से साफ है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बेहतर करने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश का जिक्र करते हुए अखबार लिखता है कि भारत ने इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। दैनिक दुनिया ने भी अपने संपादकीय में भारत को मुंह तोड़ जवाब देने की बात की है। अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में चरमपंथ को हवा दे रहा है। अखबार के मुताबिक, बलूचिस्तान में अलगावादियों को हथियार और पैसा दिया जा रहा है, कराची में सांप्रदायिक हिंसा को भड़काया जा रहा और पूर्वी सीमा पर बिना वजह संघर्षविराम का उल्लंघन हो रहा है। अखबार का कहना है कि ये सुनी सुनाई बातें नहीं हैं, बल्कि पाकिस्तान के पास इनके पक्के सबूत हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के पाकिस्तान विरोधी एजेंडे को उजागर किया जाए। इस्लामिक स्टेट से पाकिस्तान को कोई खतरा नहीं है। दूसरी तरफ औसाफ ने गृह मंत्री निसार अली खान के इस बयान पर सवाल उठाया है कि पाकिस्तान को इस्लामिक स्टेट से खतरा नहीं है। अखबार की राय है कि पाकिस्तान में कई चरमपंथी समूह और संगठन आईएस के नेतृत्व को कबूल कर रहे हैं। ऐसे में हमें सच से आंखें चुराने की बजाय ऐसे तत्वों का पता लगाना चाहिए। अखबार के मुताबिक, सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि आईएस मध्यपूर्व का संगठन है और उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वो पाकिस्तान तक पंहुच सके। भारत उर्दू अखबारों के भी निशाने पर है। वहीं जंग की राय है कि विश्व शांति के लिए जरूरी है कि इस्लामोफोबिया को खत्म किया जाए। अखबार लिखता है कि 9/11 के हमलों के बाद मुसलमानों को दहशतगर्दी से जोड़ा जाने लगा। माना कि इन हमलों को कुछ मुसलमानों ने अंजाम दिया था, लेकिन चंद लोगों की वजह से सबको बदनाम करना मुनासिब नहीं।

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