• रक्षा खर्च बढ़कर 246,727 करोड़ रुपये

    नई दिल्ली ! केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को वित्त वर्ष 2015-16 का आम बजट पेश करते हुए रक्षा आवंटन 7.74 प्रतिशत बढ़ाकर 246.727 करोड़ रुपये यानी 40 अरब डॉलर करने की घोषणा की। उन्होंने रक्षा खर्च की राशि बढ़ाते हुए कहा, "हमारी एक इंच भूमि की रक्षा भी हमारे लिए सर्वोपरि है।"...

    नई दिल्ली !   केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को वित्त वर्ष 2015-16 का आम बजट पेश करते हुए रक्षा आवंटन 7.74 प्रतिशत बढ़ाकर 246.727 करोड़ रुपये यानी 40 अरब डॉलर करने की घोषणा की। उन्होंने रक्षा खर्च की राशि बढ़ाते हुए कहा, "हमारी एक इंच भूमि की रक्षा भी हमारे लिए सर्वोपरि है।"जेटली ने लोकसभा में कहा कि सरकार रक्षा बलों को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए पारदर्शिता और प्रबंध में तत्काल निर्णय लेने की नीति का अनुसरण कर रही है।उन्होंने कहा कि सरकार आयात पर निर्भरता घटाने के लिए रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' नीति लागू करने का प्रयास कर रही है।रक्षा क्षेत्र में 17,727 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जबकि पिछले साल जुलाई में अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में इस क्षेत्र में 229,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो 2015-16 के दौरान सरकार के कुल खर्च का 13.88 फीसदी है।रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक बयान में कहा, "रक्षा बजट में बढ़ोतरी विभाज्य हिस्से में कमी के बावजूद की गई है, क्योंकि राज्यों की हिस्सेदारी में 10 फीसदी की बढ़ोतरी (14वें वित्तीय आयोग के तहत) कर दी गई है।"13 लाख जवानों वाली सेना को सामान्यरूप से 1,04,158 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिसमें 2014-15 में 98,310 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 5,846 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।आम बजट में भारतीय वायुसेना को 23,000 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र के लिए आवंटित धनराशि से 2,815 करोड़ रुपये अधिक है। वहीं, भारतीय नौसेना को 15,525 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसमें पिछली बार की तुलना में 1,590 करोड़ रुपये की कम वृद्धि हुई है।जेटली ने अपने पिछले बजट में युद्ध स्मारकों और युद्ध संग्रहालयों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।सुरक्षा विशेषज्ञ तथा नीति अध्ययन केंद्र के निदेशक सी.उदय भास्कर ने आईएएनएस से कहा, "चिंता की बात यह है कि रक्षा आवंटन में जीडीपी की प्रतिशतता की तुलना में धीरे-धीरे कमी आ रही है। इस साल यह जीडीपी का 1.74 फीसदी है, जबकि बीते साल यह 1.75 फीसदी तथा उसके पहले 1.8 फीसदी था।"उन्होंने कहा, "यह अच्छा संकेत नहीं है और इसका मतलब यही निकलता है कि पर्रिकर कुछ खास करने में सक्षम नहीं हैं। हम एक ऐसे मंत्री की आशा कर रहे हैं, जो इस दिशा में हाड़तोड़ काम करे। दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो रहा।"भास्कर ने कहा, "सिस्टम में बेहद गहरा संरचनात्मक दोष है। हमें इस बात का फैसला करना है कि भारत की जरूरत क्या है और हम पैसे कैसे खर्च कर सकते हैं।"वन रैंक-वन-पे योजना के क्रियान्वयन में भी थोड़ी प्रगति हुई है। पिछले बजट में इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई थी। यही दशा प्रौद्योगिकी विकास कोष की है। इस कोष की स्थापना एसएमई सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों और रक्षा प्रणालियों के अनुसंधान एवं रक्षा में सहयोग के लिए शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए की गई थी।

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