• अधिकार व हक दिलायेगा कानून मनरेगा

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा केवल ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने की ही योजना नहीं है बल्कि यह उनके अधिकारों व हक की बात करने वाला एक कानून है। परंतु जिस तरह छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में इस योजना का दुरुपयोग किया गया है। उसने योजना के औचित्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। ...

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा केवल ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने की ही योजना नहीं है बल्कि यह उनके अधिकारों व हक की बात करने वाला एक कानून है। परंतु जिस तरह छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में इस योजना का दुरुपयोग किया गया है। उसने योजना के औचित्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। सरकारी तंत्र व जनप्रतिनिधियों ने काफी लूट-खसोट मचाई यहां तक पूरे के पूरे मस्टर रोल ही फर्जी बना दिए गए। मृतकों के नाम भी मस्टर रोल में डालकर उनके नाम पर अंगूठा लगवा कर पैसे निकाल लिए गए।  इस फर्जीवाड़े में नीचे से लेकर उपर तक के कर्मचारियों की संलिप्तता भी पाई गई। परंतु मामले उठने के कुछ दिनों बाद ही उन्हें दबा दिया गया। इस तरह एक सही उद्देश्य से शुरु की गई योजना पूरे देश में बदनाम हो गई। भ्रष्टाचार व घोटालों के उजागर हो जाने के बाद योजना के क्रियान्वयन में हुई खामियां भी उजागर होने लगी जिससे शासन के कान खड़े हुए और योजना को कानून के अंतर्गत लाने का फैसला किया गया।मनरेगा योजना में अधिकारों व हक की बात आई है तो इनकी रक्षा करने के लिए निष्पक्ष तंत्र की आवश्यकता महसूस की गई। किसी भी योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए निष्पक्षता एक प्रमुख तत्व होता है। पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए योजना के तहत एक ऐसे व्यक्ति का चयन हो जो निष्पक्ष रुप से एक न्यायिक प्रक्रिया के रुप में लोगों की योजना से अपेक्षाओं को पूरा करें और शिकायतों को दूर कर सकें। इसके लिए उन्हें अधिकार सम्पन्न बनाया जाना आवश्यक था ताकि योजना से संबंधित जांच या सुनवाई न्यायिक प्रक्रियाओं की तरह बिना किसी दबाव में आगे संपादित हो सकें। लोकपाल पद इसी आवश्यकता की उपज है।कानूनी रुप व अच्छी सोच के तहत इस पद को सृजित तो किया गया है परंतु आगे देखना होगा कि इसे कितनी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। कितना वैधानिक दर्जा दिया जाता है व काम करने वाले अधिकारियों पर सरकार किस हद तक दबाव डालने से खुद को दूर रख पाती है।योजना के तहत कानून श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करता है यह सीधे अथवा प्रक्रियात्मक रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल श्रम करने वाले ग्रामीणों को रोजगार का अधिकार प्रदान करता है या अन्य योजनाओं से अलग के काम की मांग से लेकर मजदूरी भुगतान तक की प्रक्रिया की समय सीमा निर्धारित है। योजना का सही क्रियान्वयन होगा तो हर साल प्रदेश से होने वाले पलायन पर भी रोक लगेगी व प्रदेश के श्रमिकों को अपने ही घर-गांव में श्रम व रोजगार का सही मेहनताना मिलने लगेगा जिससे प्रदेश में श्रम शक्ति में भी वृद्धि होगी और जहां श्रमि-शक्ति ज्यादा होगी बाहरी निवेशक भी आकर्षित होंगे। बाहरी निवेशकों के आने से निश्चित ही राज्य का और अधिक विकास होगा। 

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