• भूमि अधिग्रहण विधेयक को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाए

    नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जहां विपक्ष को यह स्पष्ट किया कि किसानों के हित में भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुझावों को समाविष्ट करने के लिए वह तैयार हैं, वहीं कांग्रेस के निशाने पर लेते हुए कहा कि मनरेगा उसकी विफलता का नमूना है और सरकार इसे बंद नहीं करने जा रही है। ...

    हमें किसानों के हित के बारे में सोचना चाहिए,पूर्व सरकार राजनीतिक लाभ लेने के लिए विधेयक पारित कराने की जल्दबाजी कर रही थी ! सभी राज्य के मुख्यमंत्री इस विधेयक के खिलाफ थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनई दिल्ली !   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जहां विपक्ष को यह स्पष्ट किया कि किसानों के हित में भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुझावों को समाविष्ट करने के लिए वह तैयार हैं, वहीं कांग्रेस के निशाने पर लेते हुए कहा कि मनरेगा उसकी विफलता का नमूना है और सरकार इसे बंद नहीं करने जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संसद के संयुक्त सत्र को दिए गए अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को आरोप लगया कि पूर्व सरकार राजनीतिक लाभ लेने के लिए विधेयक पारित कराने की जल्दबाजी कर रही थी, भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) तब भी इसके साथ खड़ी थी।मोदी ने हालांकि, कहा कि कांग्रेस को अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका विधेयक सटीक नहीं था। उन्होंने कहा, "हमें अभिमानी हो कर यह नहीं सोचना चाहिए कि हमसे कोई बेहतर नहीं हो सकता। जब भूमि अधिग्रहण विधेयक लाया गया था, हम आपके साथ थे। हमें पता है कि आपको राजनीतिक लाभ लेने के लिए इसे लाने की जल्दबाजी थी। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आपको 1894 के कानून में कमी ढूंढने के लिए 2013 का समय मिला?"प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी राज्य के मुख्यमंत्री इस विधेयक के खिलाफ थे। मोदी ने कहा, "जब कानून बना, जब हमारी सरकार आई, सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सभी पार्टियों ने एक आवाज में कहा कि हमें किसानों के हित के बारे में सोचना चाहिए।"उन्होंने कहा, "देश संघीय सहयोग की बात करता है, क्या हम इतने अभिमानी हो गए कि हम राज्यों की नहीं सुनेंगे? क्या हम उनकी भावना का समर्थन नहीं करेंगे?"मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्य विधेयक को लेकर सबसे अधिक चिंतित थे। भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री ने विपक्ष को राजनीतिक प्रिज्म के माध्यम से मुद्दे पर चर्चा नहीं करने के लिए कहा। मोदी ने कहा भ्रष्टाचार ने देश को तबाह कर दिया है और सभी पार्टियों इससे मुकाबला करने एकजुट हों।सरकार ने अपनी पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में काला धन मुद्दे पर जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थिति देश को काला धन पर बात करने के लिए विवश किया।प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि उनकी सरकार मनरेगा को बंद नहीं करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भले ही कहे कि कुछ मुद्दों पर उनकी समझ नहीं है, लेकिन इतना तो वे भी मानेंगे कि कुछ मुद्दों पर उनकी राजनीतिक समझ अच्छी है।उन्होंने कहा, "आपको भी मानना पड़ेगा कि मेरी राजनीतिक सूझबूझ वाकई में अच्छी है। मैं मनरेगा के साथ कुछ नहीं करूंगा, क्योंकि यह आपकी विफलता का जीता-जागता उदाहरण है। मैं इसका जोर शोर-से ढोल पीटता रहूंगा।"उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम साल 2005 में संप्रग सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीबों को न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार प्रदान करती है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के नाम, जैसे-स्वच्छ भारत मिशन महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि स्वच्छता महिलाओं की गरिमा से जुड़ी है। उन्होंने कहा, "सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। राष्ट्र निर्माण लोगों, उनकी ताकत और क्षमता से होता है और होता रहेगा।"

अपनी राय दें