• दस्तावेज लीक मामले में यूपीएससी के दो अधिकारी और गिरफ्तार

    नई दिल्ली ! पेट्रोलियम और अन्य मंत्रालयों के दफ्तर से गोपनीय दस्तावेज चुराने के मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें गुरुवार को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (आपराधिक शाखा) के रविंद्र यादव ने कहा कि दोनों को द्वारका जिला अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। ...

    नई दिल्ली !   पेट्रोलियम और अन्य मंत्रालयों के दफ्तर से गोपनीय दस्तावेज चुराने के मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें गुरुवार को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (आपराधिक शाखा) के रविंद्र यादव ने कहा कि दोनों को द्वारका जिला अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। दिल्ली पुलिस ने दस्तावेजों के लीक होने के मामले में अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के निजी सहायक जतिंद्र नागपाल और यूपीएससी के एक सदस्य के निजी सहायक विपन कुमार को बुधवार रात गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि दोनों को मंगलवार को हिरासत में लिया गया था और उनसे पेट्रोलियम और अन्य मंत्रालयों के दस्तावेज लीक मामले में पूछताछ की गई थी। दस्तावेज लीक मामले का खुलासा 17 फरवरी की रात को शास्त्री भवन के दो पूर्व एमटीएस कर्मचारियों की गिरफ्तारी से हुई थी। पुलिस ने बताया कि विपन कुमार ने पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में काम किया था और मंत्रालय में संपर्क के कारण उसे गुप्त और महत्वपूर्ण दस्तावेज मिल जाते थे। उसने 1996 में मंत्रालय में स्टेनोग्राफर का काम शुरू किया था। पुलिस ने बताया कि 1996-2010 के बीच विपन ने अपने संपर्क के लोगों की मदद से दस्तावेज चुराए थे और उसे कारपोरेट घरानों को दे दिया था। नागपाल ने 1994 में कानून एवं न्याय मंत्रालय में स्टेनोग्राफर का काम शुरू किया था और 2007 तक सेवाएं दी थीं। 2001-2003 के बीच उसने रसायन और उवर्रक मंत्रालय में काम किया और विपन एवं इस मामले में गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी लोकेश शर्मा और अन्य लोगों से दस्तावेज प्राप्त किए। संयुक्त पुलिस आयुक्त (आपराधिक शाखा) के रविंद्र यादव ने कहा, "नागपाल और विपन ने यह खुलासा किया कि वह कई सालों तक गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। वे एक ही ईमेल आईडी का इस्तेमाल करते थे, जिसके जरिए वे अपने कुछ ग्राहकों को दस्तावेज भेजते थे।"जानकार सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के हरी नगर निवासी नागपाल को दो दिन पहले तब गिरफ्तार किया गया, जब नोएडा स्थित कंपनी इन्फ्रा एनर्जी के कर्मचारी लोकेश ने पूछताछ के दौरान उसके नाम का खुलासा किया था। विपन का नाम भी लोकेश ने पूछताछ के दौरान लिया था। लोकेश पहले शास्त्री भवन में मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के रूप में कार्यरत था। दिल्ली के उत्तम नगर के विजय नगर निवासी लोकेश को 22 फरवरी को द्वारका से गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ के दौरान अन्य कारपोरेट सेक्टर से उनके संबंध का पता चला है, जिन्हें चोरी किए गए दस्तावेज भेजे गए थे। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने पेट्रोलियम, कोयला और बिजली मंत्रालय के दस्तावेज चुराए हैं, लेकिन रक्षा और पर्यावरण मंत्रालय से कुछ नहीं चुराया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त बी.एस.बस्सी ने बताया, "हमारी जांच में हमें रक्षा एवं पर्यावरण मंत्रालय के दस्तावेज चुराने से संबंधित सूत्र नहीं मिले, लेकिन हमें ऐसी सूचना मिली है कि कुछ ऐसे कारपोरेट घराने हैं, जिन्हें चुराए गए दस्तावेज मिले हैं।"बस्सी ने कहा, "अब तक की जानकारी के अनुसार उनका मंत्रालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कोई संपर्क नहीं था।"सूत्रों के अनुसार, विपन और जतिंद्र, लोकेश और मेलबर्न स्थित मेटिस एनर्जी कन्सल्टिंग एंड रिसर्च सर्विसेज के कर्मचारी प्रयास जैन को दस्तावेज उपलब्ध कराया करता था। प्रयास भी छह मार्च तक न्यायिक हिरासत में है। दस्तावेज लीक मामले में दो प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। नागपाल एवं विपन का नाम दूसरी प्राथमिकी में शामिल है, जो 20 फरवरी को दर्ज किया गया था।

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