• आम के लिए भी खास सुविधाएं

    प्रौद्योगिकी के आज के दौर में समय के साथ चलना जरुरी है। यह क्षेत्र विशेष तक सीमित न रहकर हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है। चिकित्सा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है, जिसका सीधा ताल्लुक जनस्वास्थ्य की देखभाल से है। आज छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में हर परिवार को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्राप्त है। ...

    प्रौद्योगिकी के आज के दौर में समय के साथ चलना जरुरी है। यह क्षेत्र विशेष तक सीमित न रहकर हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है। चिकित्सा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है, जिसका सीधा ताल्लुक जनस्वास्थ्य की देखभाल से है। आज छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में हर परिवार को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्राप्त है। कुछ पीछे मुड़कर देखें तो स्थितियां कितनी भयावह थीं, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती थी। करीब तीन दशक पहले इसी राज्य में लोगों को उपचार की सुविधा नहीं मिल पाती थी और मलेरिया से सैकड़ों लोगों को मौत हो जाती थी। यह वही दौर था जब केन्द्र में स्वास्थ्य मंंत्री रहते हुए मोतीलाल वोरा ने एक केन्द्रीय टीम भेजकर मलेरिया के प्रकोप तथा उसमें होने वाली मौतों की जांच कराई थी और उसके बाद राज्य में मलेरिया उन्मूलन तथा उपचार का विशेष अभियान शुरू किया गया था। स्वास्थ्य के क्षेत्र में कह सकते हंै कि आज बहुत बेहतर स्थिति हैं। ये सुविधाएं और बेहतर कैसे हो सकती है, इस पर चिकित्सा के क्षेत्र में नित नए-नए अनुसंधानों को ध्यान में रखकर सोचना होगा और नई प्रौद्योगिकी अपनानी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए 60 हजार से अधिक मितानिन महिलाएं राज्य में काम कर रही हैं। जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से मितानिनों की यह संख्या देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है। शहरों में सिटी डिस्पेन्सरियां खोली गई हैं। अगले सत्र से राज्य में सरकारी मेडिकल कालेजों की संख्या आधा दर्जन  हो जाएगी। मेडिकल कालेजों के बाह्य रोगी विभाग में पंजीयन के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पता चलेगा कि ये मेडिकल कालेज नहीं खुले होते तो आज क्या स्थिति होती। जगदलपुर से लेकर रायगढ़ तक के मेडिकल कालेज में हजारों लोग उपचार के लिए पहुंचते हैं। यह हालत तब है जब स्वास्थ्य बीमा सुविधा यानी स्मार्ट कार्ड के जरिए निजी अस्पतालों में भी लोग मुफ्त इलाज करा सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक बड़ी आबादी के लिए अस्पताल का मतलब उसका सरकारी होना ही है। यहां की सुविधाओं में छोटे-छोटे सुधार कर उन्हें अधिक से  अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। मेडिकल कालेज अस्पतालों का लक्ष्य यह होना चाहिए कि वहां हर प्रकार की जांच तथा विशेषज्ञ सेवाएं हों। बिलासपुर का मेडिकल कालेज भी अब नया नहीं रह गया है। दुर्भाग्यवश यहां सुविधाओं की कमी आज भी बनी हुई है। जांच के अत्याधुनिक उपकरण यहां नहीं है। पैथालाजी विभाग में सैम्पल देने के लिए इतनी लंबी लाइन लगती है कि जगह कम पड़ जाती है। कई जांच उपकरण खराब पड़े हुए हैं। उनकी मरम्मत या नए उपकरण खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाकर व्यवस्था को बदला जा सकता है। दूसरे मेडिकल कालेजों में भी इस प्रकार की समस्याएं हंै। मेडिकल कालेज अस्पताल सिर्फ लोगों के उपचार के लिए ही नहीं होते बल्कि भावी डाक्टरों के शिक्षा केन्द्र भी होते हैं। यदि ये आधुनिक जांच सुविधाओं का अच्छा ज्ञान लेकर नहीं निकलेंगे तो लोगों की सेवा कैसे कर पाएंगे। हमारे मेडिकल कालेज ऐसे होने चाहिए जहां से निकलने वाले डाक्टर ज्ञान-कौशल के मामले के किसी भी दृष्टि से कम न हों। ऐसा तभी हो सकता है जब चिकित्सा क्षेत्र में होने वाले बदलाओं और नई प्रौद्योगिकी के साथ-साथ चला जाए।

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