• जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी से तबाही, घुसपैठ रोकना बनी चुनौती

    श्रीनगर ! पिछले दो दिनों से कश्मीर के पहाड़ों पर हो रही जबरदस्त बर्फबारी ने एलओसी के इलाकों में भयानक तबाही मचाई है। खासकर सैन्य प्रतिष्ठान और सैनिक इसके शिकार हो रहे हैं। तीन दिनों में बर्फीले तूफान और हिमस्खलन हालांकि कोई जानी नुकसान नहीं कर पाए हैं पर घुसपैठियों को रोकने की खातिर लगाई गई तारबंदी भी कई स्थानों पर ढह गई है जिस कारण सेना को मौसम की भयानक परिस्थितियों में चौकसी और सतर्कता को बढ़ाना पड़ा है। ...

    श्रीनगर !   पिछले दो दिनों से कश्मीर के पहाड़ों पर हो रही जबरदस्त बर्फबारी ने एलओसी के इलाकों में भयानक तबाही मचाई है। खासकर सैन्य प्रतिष्ठान और सैनिक इसके शिकार हो रहे हैं। तीन दिनों में बर्फीले तूफान और हिमस्खलन हालांकि कोई जानी नुकसान नहीं कर पाए हैं पर घुसपैठियों को रोकने की खातिर लगाई गई तारबंदी भी कई स्थानों पर ढह गई है जिस कारण सेना को मौसम की भयानक परिस्थितियों में चौकसी और सतर्कता को बढ़ाना पड़ा है। बर्फबारी ने उस तारबंदी को बुरी तरह से कई इलाकों में क्षतिग्रस्त कर दिया है जो पाकिस्तानी क्षेत्र से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए लगाई गई थी। हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं था जब तारबंदी को बर्फबारी ने क्षति पहुंचाई हो बल्कि हर साल होने वाली बर्फबारी तारबंदी को नुकसान पहुंचाती है और फिर सेना के जवान उसे नए सिरे से खड़ा करते हैं। सेना प्रवक्ता का कहना था कि फिलहाल इसके प्रति अंदाजा लगाना कठिन है कि तारबंदी के कितने किमी के हिस्से को क्षति पहुंची है क्योंकि एलओसी के ऊंचाई वाले इलाकों में फिलहाल बर्फबारी रुकी नहीं थी तथा वहां तक सेना के जवान पहुंचने में कामयाब नहीं हुए थे। लेकिन इतना जरूर था कि बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त हुर्द तारबंदी सेना के लिए मुसीबत इसलिए बन गई है क्योंकि हर बार उसका यह अनुभव रहा है कि आतंकी टूटी हुई तारबंदी का सहारा लेकर घुसने की कोशिश करते रहते हैं। यही कारण है कि तारबंदी के क्षतिग्रस्त होने के बाद सेना को एलओसी पर चौकसी तथा सतर्कता को और बढ़ाना पड़ा है क्योंकि पूर्व में भी पाक सेना इन्हीं परिस्थितियों का लाभ उठाने की कोशिश करती रही है। माना कि एलओसी के वे रास्ते और दर्रे भारी हिमपात के कारण बंद हो चुके हैं जिनका इस्तेमाल घुसपैठियों द्वारा किया जाता रहा है पर भारतीय सेना कोई रिस्क लेने के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि भीषण हिमपात, भयानक सर्दी और माइंस तापमान के बीच सैनिक सतर्कता और चौकसी के लिए गश्त को नहीं रोक पा रहे हैं। भयानक सर्दी में भी ऐसा करना उनकी मजबूरी है क्योंकि दुश्मन चालाक और चतुर है जो हमेशा मौके की तलाश में रहता है।

अपनी राय दें