• जीवन शैली बदलने से बढ रहा कैंसर, मधुमेह

    नयी दिल्ली। जीवन शैली में बदलाव के कारण युवा पीढी को आज कई तरह की बीमारियां घेर रही हैं और मधुमेह तथा कैंसर जैसे घातक रोग तेजी से उन्हें चपेट में ले रहे हैं। सरकारी सूचना के अनुसार अपौस्टिक आहार, शारीरिकरूप से बढी निष्क्रियता, अल्कोहल का इस्तेमाल, तम्बाकू का सेवन, तनावपूर्ण जीवनचर्या जैसे कई कारक है जिनकी वजह से युवा पीढी के समक्ष स्वास्थ्य संबंधी कई तरह के संकट आ रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कैंसर पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार पिछले वर्ष देश में विभिन्न तरह के कैंसर की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 30 लाख से अधिक थी।...

    नयी दिल्ली। जीवन शैली में बदलाव के कारण युवा पीढी को आज कई तरह की बीमारियां घेर रही हैं और मधुमेह तथा कैंसर जैसे घातक रोग तेजी से उन्हें चपेट में ले रहे हैं। सरकारी सूचना के अनुसार अपौस्टिक आहार, शारीरिकरूप से बढी निष्क्रियता, अल्कोहल का इस्तेमाल, तम्बाकू का सेवन, तनावपूर्ण जीवनचर्या जैसे कई कारक है जिनकी वजह से युवा पीढी के समक्ष स्वास्थ्य संबंधी कई तरह के संकट आ रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कैंसर पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार पिछले वर्ष देश में विभिन्न तरह के कैंसर की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 30 लाख से अधिक थी। इसी तरह से मधुमेह भी खानपान में गडबडी के कारण तेजी से फैल रहा है। यह बीमारी बहुत तेजी से बढती जा रही है और करीब हर 10वां व्यकि्त इससे पीडित नजर आता है। अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ की नवंबर 2013 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या करीब पौने सात करोड थी। सरकार ने कैंसर तथा मधुमेह जैसे रोगों की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाए हैं। देश के 20 विभिन्न हिस्सों में राज्य कैंसर संस्थान खोले गए हैं। इन केंद्रों के जरिए यह प्रयास किया जाता है कि कैंसर का पता जल्द लगाया जा सके। केंद्र सरकार से इन बीमारियों की रोकथाम के लिए धनराशि उपलब्ध कराती है लेकिन कई बार उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता। वर्ष 2011-12 में 18 राज्यों ने उन्हें जारी की गई धनराशि का पूरा इस्तेमाल नहीं किया जबकि हिमाचल तथा छत्तीसगढ जैसे राज्यों ने इसमें से एक भी पैसा खर्च नहीं किया। इसी तरह से 2012-13 में उत्तर प्रदेश को 2431.25 लाख रुपए दिए गए लेकिन उसने सिर्फ 89 लाख रुपए का ही इस्तेमाल किया। वर्ष 2013-14 में असम ने 1714 लाख रुपए दिए गए लेकिन उसने 620 लाख रुपए का ही प्रयोग किया। छत्तीसगढ ने 927 लाख की जगह सिर्फ 228 लाख रुपए खर्च किए। जम्मू कश्मीर ने 332 लाख रुपए में से 161 लाख रुपए का इस्तेमाल किया जबकि तमिलनाडु ने 89 लाख रुपए मेंसे एक भी पैसा खर्च नहीं किया। इसी तरह से उत्तर प्रदेश को 1398 रुपए जारी हुए लेकिन उसने एक भी पैसा खर्च नहीं किया। वर्ष 2014-15 के लिए कुल 18 करोड 448 लाख रूपए जारी हुए हैं लेकिन पिछले वर्ष नवंबर तक 3456.4 लाख रुपए के खर्च का ही विवरण प्राप्त हुआ है।

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