• आधे घरों में शौचालय न होना स्वच्छ भारत की राह में सबसे बडा रोडा

    नयी दिल्ली। भारत की लगभग आधी आबादी के घरों में शौचालय न होने को मोदी सरकार की स्वच्छ भारत के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना में सबसे बडी बाधा के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है और इसके लिए सभी राज्य सरकारों से इसमें सहयोग देने तथा देशवासियों से इसे जनांदोलन बनाने का आह्वान किया है।लेकिन जानकारों का कहना है कि जिस देश की आधी आबादी के घरों में शौचालय नहीं हैं उस देश में इस सपने को पूरा करना इतना आसान नहीं होगा। ...

    नयी दिल्ली। भारत की लगभग आधी आबादी के घरों में शौचालय न होने को मोदी सरकार की स्वच्छ भारत के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना में सबसे बडी बाधा के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है और इसके लिए सभी राज्य सरकारों से इसमें सहयोग देने तथा देशवासियों से इसे जनांदोलन बनाने का आह्वान किया है।लेकिन जानकारों का कहना है कि जिस देश की आधी आबादी के घरों में शौचालय नहीं हैं उस देश में इस सपने को पूरा करना इतना आसान नहीं होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के आंकडों के अनुसार भारत की सवा सौ करोड आबादी में से 49.8 फीसदी अभी खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर है । देश की महिलाों की कुल आबादी के एक तिहाई को शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो सुविधाएं कम हैं ही शहरी भारत में भी 19 फीसदी घरों में शौचालय नहीं हैं। महिलाों के खुले में शौच जाने से उनके खिलाफ अपराधों की आशंका भी बनी रहती है। सरकारी आंकडों के अनुसार साफ सफाई की पर्याप्त सुविधाों के अभाव में देश को हर वर्ष 54 अरब रूपये की कीमत चुकानी पड रही है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 फीसदी के बराबर है। इसके अलावा गंदगी और प्रदूषित जल के सेवन से होने वाली बीमारियों के कारण 18 लाख लोग मौत की गोद में समा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर ढांचागत सुविधाों का निर्माण सबसे पहली जरूरत है।बडे पैमाने पर सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के अलावा जगह जगह पर कूडा घर बनाने तथा हर 500 मीटर पर कूडे की टोकरी की व्यवस्था करनी होगी।उनका कहना है कि यदि बस से उतरने वाला व्यक्ति टिकट को सडक पर नहीं फेंके तो इसके लिए बस स्टाप और रेलवे स्टेशन आदि पर कूडे की टोकरी का होना जरूरी है। इस तरह की व्यवस्था से ही लोगों की मानसिकता को बदला जा सकता है जो स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए पहली शर्त में शामिल है। सरकार ने कहा है कि वह हर गांव में शौचालयों के लिए 20 लाख रूपये की राशि जारी करेगी लेकिन देश भर के 600 से अधिक गांवों के लिए इतनी राशि का इंतजाम करना आसान काम नहीं है। इसके अलावा इनके निर्माण के बाद रख रखाव तथा इन्हें स्वच्छ रखने के लिए भी भारी राशि की जरूरत होगी

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