किसानों की आत्महत्या के मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर चला रहे शब्द बाणमुंबई ! शिव सेना के मुख पत्र सामना में कल के संपादकीय में महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या के संबंध में सरकार पर की गई टिप्पणी पर भाजपा नेताओं ने शिव सेना की आलोचना की। राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े और वित्त मंत्री सुधीर मनगुंटीवार ने कहा कि सामना में टिप्पणी करने के बजाय शिव सेना नेताओं को बातचीत कर किसानों की समस्या का हल ढूंढऩा चाहिए। भाजपा नेताओं की इस टिप्पणी पर शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि सही समय आने पर भाजपा नेताओं को उत्तर दिया जाएगा। दूसरी तरफ सरकार में शामिल शिव सेना के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने आज महाराष्ट्र के अमरावती जिला में कहा कि शिव सेना किसानों का सर्वे कराएगी। इसस पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामनाÓ में कहा, नए मुख्यमंत्री (देवेन्द्र फडणवीस) विदर्भ के हैं इसलिए उम्मीद जगी थी कि उस क्षेत्र के किसानों को नया जीवन मिलेगा, लेकिन उल्टा हो रहा है मुख्यमंत्री दावोस में निवेशकों के लिए पलक पांवड़े बिछाने में व्यस्त थे। वहीं यहां किसान आत्महत्या कर रहे थे क्योंकि उनके पास सूदखोरों को देने के लिए पैसा नहीं है। ऐसी घटनाएं हृदय विदारक हैं। संपादकीय में कहा गया कि सभी ने सोचा था कि नई सरकार कर्ज का भुगतान न करने, सूखे की स्थितियों और फसल खराब होने से हुए नुकसान के कारण होने वाली किसानों की आत्महत्याओं को रोकने में सफल होगी। संपादकीय के अनुसार, लेकिन राज्य की वर्तमान स्थिति तो बिल्कुल ही उलटी प्रतीत हो रही है। यवतमाल जिले में चार किसानों ने और चंद्रपुर जिले में एक किसान ने आत्महत्या की। पिछले एक माह में ऐसे मामलों की संख्या में हुई वृद्धि चौंकाने वाली है। राज्य के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने कथित तौर पर कहा था कि अगर किसान अपने मोबाइल फोन के बिल चुका सकते हैं तो वे बिजली का बिल भी भुगतान कर सकते हैं। इस टिप्पणी के लिए राजस्व मंत्री पर परोक्ष हमला करते हुए शिवसेना ने कहा, वे कर्ज से बेहाल हैं, जो किसान आत्महत्या कर रहे हैं उनके पास मोबाइल फोन भी नहीं है। इसलिए कोई ये नहीं पूछ पाएगा कि जब वो मोबाइल फोन के बिल अदा कर सकते हैं तो बिजली के बिना का भुगतान क्यों नहीं कर सकते। शिवसेना ने सवाल पूछा, चुनाव के मौसम में किसानों से बदलाव के वादों की झड़ी लगा दी गई। उन वादों का क्या हुआ? उन वादों को पूरा करने के लिए अब कौन जिम्मेदार है? मुखपत्र में कहा गया है, मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री दोनों ही विदर्भ क्षेत्र से आते हैं। फिर किसान क्यों मर रहे हैं? उनके पास अपनी जान लेने के लिए जहर खरीदने तक का पैसा नहीं है। क्या यह एक अच्छी सरकार का संकेत है? एक मंत्री ने विदर्भ को शराब मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि क्षेत्र आत्महत्या मुक्त बने।अभी नहीं लेकिन सही समय आने पर भाजपा नेताओं को उत्तर दिया जाएगा : उद्धव ठाकरेसामना में टिप्पणी करने के बजाय शिव सेना नेताओं को समस्या का हल ढूंढऩा चाहिए : विनोद तावड़े