• सूरजकुंड मेले में दिखेगी बस्तर की झलक

    नयी दिल्ली। हरियाणा के सूरजकुंड में एक फरवरी से शुरू हो रहे विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प अंतरराष्ट्रीय मेले में इस बार छत्तीसगढ के आदिवासी बहुल बस्तर पर इलाके की कला एवं संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ इस बार इस मेले का थीम स्टेट हैं। संगमरमर की सूक्ष्म प्रतिमाएं और लोहे के कबाड से विशालकाय आकृतियां बनाने के लिए मशहूर भिलाई के कलाकार अंकुश देवांगन ने करीब 50 दूसरे कलाकारों के साथ मिलकर ढाई महीने की मेहनत के बाद पूरे मेला परिसर को बस्तर के रंग में रंग दिया है। ...

    नयी दिल्ली। हरियाणा के सूरजकुंड में एक फरवरी से शुरू हो रहे विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प अंतरराष्ट्रीय मेले में इस बार छत्तीसगढ के आदिवासी बहुल बस्तर पर इलाके की कला एवं संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ इस बार इस मेले का थीम स्टेट हैं। संगमरमर की सूक्ष्म प्रतिमाएं और लोहे के कबाड से विशालकाय आकृतियां बनाने के लिए मशहूर भिलाई के कलाकार अंकुश देवांगन ने करीब 50 दूसरे कलाकारों के साथ मिलकर ढाई महीने की मेहनत के बाद पूरे मेला परिसर को बस्तर के रंग में रंग दिया है। उन्होंने कहा कि वह देश-विदेश से इस मेले में आने वाले सैलानियों को ऐसा अनुभव देना चाहते हैं जिसे वह ताउम्र याद रखें। परिसर का मुख्य गेट चार मंजिला ऊंचा बनाया गया है और इस पर बस्तर की कला की झलक साफ देखी जा सकती है। इस गेट की तरफ जाने वाली 800 फुट लंबी सडक के दोनों तरफ अजीबोगरीब मानव आकृतियां बनायी गयी हैं जो आपको किसी दूसरी दुनिया में पहुंचा देती है। छत्तीसगढ के आदिवासी अंचल में धान की कटाई के बाद मनाए जाने वाले त्योहार जंवारा को भी उकेरा गया है। परिसर के भीतर आपको कहीं सुवा नृत्य करती आदिवासी महिलाएं दिखेंगी तो कहीं लकडी पर चढकर गेंडी नृत्य करते युवा। कहीं ढोल नगाडे बजाते आदिवासी तो कहीं बस्तर की कला की बडी-बडी प्रतिकृतियां। लगता है कि आप बस्तर पहुंच गए हैं। गोबर से लिपी हुई दीवारों पर लोकशैली में आदिवासी भित्तीचित्रण भी मेले की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं। भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत श्री देवांगन का कहना है कि छत्तीसगढ सरकार इस मेले में अपनी संस्कृति का प्रर्दशन करके अपने यहां पर्यटन को बढावा देना चाहती है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि मेले में आने वाले देशी. विदेशी पर्यटकों को उनकी कला पसंद आएगी।

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