• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को उलटने का प्रयास

    नई दिल्ली ! भातीय खाद्य निगम के नवीनीकरण के लिए गठित शांता कुमार समिति ने जो सिफ ारिशें की हैं वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को उलटने का प्रयास हैं। इस समिति की सिफ ारिशों में इस योजना का दायरा कम करने तथा प्राथमिकता वाले परिवारों को राशन न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर देने की बात कही गई है। समिति ने यह भी कहा है कि जिन राज्यों में गड़बडिय़ां अधिक हैं लाभार्थियों की सूची ऑनलाइन नहीं की गई है। ...

    भारत शर्मानई दिल्ली !   भातीय खाद्य निगम के नवीनीकरण के लिए गठित शांता कुमार समिति ने जो सिफ ारिशें की हैं वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को उलटने का प्रयास हैं। इस समिति की सिफ ारिशों में इस योजना का दायरा कम करने तथा प्राथमिकता वाले परिवारों को राशन न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर देने की बात कही गई है। समिति ने यह भी कहा है कि जिन राज्यों में गड़बडिय़ां अधिक हैं लाभार्थियों की सूची ऑनलाइन नहीं की गई है। वहां इस योजना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया जाना चाहिए। समिति ने निगम में काम कर रहे नियिमित श्रमिकों के स्थान पर ठेके के मजदूरों या दैनिक वेतन भोगी मजदूरों से काम कराने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट के आने के साथ ही विरोध शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि  पिछली मनमोहन सिंह सरकार ने गरीबों को सस्ता राशन देने की गरज से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनाया था। इस योजना के तहत गरीबों को सस्ते दर पर प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज देने की बात कही गई है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 21 अगस्त 2014 को इस समिति का गठन किया गया। समिति ने इसी माह अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ अभी करीब 67 फीसद परिवारों को दिया जा रहा है जो काफी अधिक है। इन लोगों को 5 किलो व्यक्ति के हिसाब से 3 रुपए , 2 रुपए, 1 रुपए किलो के हिसाब से अनाज दिया जाता है। समिति का कहना है कि खाद्य सुरक्षा के दायरे को घटाकर 40 फीसद कर दिया जाए साथ ही अन्त्योदय योजना के उपभोक्ताओं को छोड़कर शेष को राशन फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की आधी कीमत पर उपलब्ध कराया जाए। समिति की सिफारिश है कि कई राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी है। यह गड़बड़ी 40 फीसद से लेकर 70 फीसद है। इन राज्यों ने लाभार्थियों की सूची आनलाइन नहीं की है तथा विजिलेंस कमेटी का गठन नहीं किया है। ऐसे में इन राज्यों में योजना को स्थगित कर दिया जाना चाहिए। समिति का यह भी कहना है कि लाभार्थियों को फसल खरीदी के बाद एक साथ छह माह का राशन दे दिया जाए जिससे सरकार के पास अनाज को रखने का जो संकट है वह कम हो सके। समिति ने खाद्य अनुदान सीधे खाते में जमा करने की सिफारिश भी की है। समिति ने खाद्यान्न रखने के लिए निजी क्षेत्र को प्राथमिकता देने के अलावा निगम के मजदूरों के स्थान पर ठेके के मजदूरों को रखने की सिफारिश की है। समिति ने मजदूरों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को खत्म करने के अलावा राज्य सरकारों द्वारा खरीदी पर दी जा रही लेव्ही को भी 4 फीसद से अधिक न करने को कहा है। खाद को बाजार के हवाले करने की सिफ ारिशशांताकुमार समिति ने खाद को बाजार के हवाले करने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि किसान के खाते में सीधे 7 हजार रुपए जमा करा दिए जाएं जो उसकी खाद की जरुरतों को पूरा करेगा। समिति का कहना है कि साल 2015 मे केंद्र सरकार खाद पर 72 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान दे रही है। रिपोर्ट के अनुसार, खाद को बाजार के हवाले कर देने से खाद का गैर कृषि में दुरुपयोग रोका जा सकेगा।

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