• अमेरिकी निवेशकों के एजेंडे में भारत सबसे ऊपर

    नई दिल्ली ! केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच एक नया व्यापारिक रिश्ता बनाने में मदद मिली है और अमेरिकी निवेशकों के एजेंडे में भारत सबसे ऊपर आ गया है। जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट 'प्रेसीडेंट ओबामा, दावोस एंड आफ्टर' में कहा है,...

    नया व्यापारिक रिश्ता बनाने में मदद नई दिल्ली !  केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच एक नया व्यापारिक रिश्ता बनाने में मदद मिली है और अमेरिकी निवेशकों के एजेंडे में भारत सबसे ऊपर आ गया है। जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट 'प्रेसीडेंट ओबामा, दावोस एंड आफ्टर' में कहा है, "राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे ने दोनों देशों के बीच एक नया वाणिज्यिक रिश्ता बनाने में मदद की है। भारतीय और अमेरिकी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के सम्मेलन ने भारत के बारे में एक मजबूत विश्वास प्रदर्शित किया है। अमेरिकी कारोबारी भारत में निवेश करने की बड़ी इच्छा रखते हैं।"उन्होंने कहा, "उनके प्रश्न मुख्यरूप से भारत में कारोबार आसान बनाने से संबंधित रहे। चूंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से वृद्धि कर रही है, लिहाजा अमेरिकी उद्योगपितियों के पास फंड की प्रचुरता है, जिसे वे अन्यत्र निवेश करना चाह रहे हैं। भारत उनके एजेंडे में सवरेपरि है।"ओबामा ने 25-27 जनवरी तक के अपने तीन दिवसीय भारत दौरे के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोनों पक्षों की व्यापारिक हस्तियों से मुलाकात की थी।जेटली ने कहा, "आंतरिक और बाहरी कारक भारत के पक्ष में हैं। अमेरिका निस्संदेह वैश्विक आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन है। इसकी वृद्धि दर बढ़ रही है। ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और यूरोप चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। चीन ने स्वीकार लिया है कि सात प्रतिशत विकास दर उनकी नई सामान्य दर है। आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) इस आंकड़े को सामान्य से अधिक मानता है।"जेटली ने कहा कि तेल मूल्य में गिरावट भारत को शुद्ध खरीददार बनने के पक्ष में है।जेटली ने कहा, "हमारे घरेलू संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। हमारी पूंजी की लागत अधिक है। दुनिया निवेश के लिए ताक रही है। भारत से अधिक आकर्षक विकल्प बहुत नहीं हैं।"उन्होंने कहा, "जहां अधिकांश प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाएं गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं, वहीं भारत अपनी विकास दर बढ़ाने का वादा कर रहा है। हमारे यहां फिर से आशा जगी है। हम इस अवसर को गवाने के लिए अवरोधवाद को अनुमति नहीं दे सकते। दावोस से यह एक जोरदार और स्पष्ट संदेश है।"दावोस में हुए विश्व आर्थिक मंच की बैठक के संदर्भ में वित्त मंत्री ने कहा, "निवेशक अधिक उत्साह के साथ भारत की ओर देख रहे हैं। भारत केंद्रित बैठकों में अधिक उपस्थिति रही। इन बैठकों के लिए पंजीकरण कराने की इच्छा रखने वाले कई लोगों को निराश होना पड़ा था, क्योंकि उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका।"

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