• गांधीजी का ट्रस्ट खोलेगा अनूठा कैफे

    अहमदाबाद। महात्मा गांधी द्वारा स्थापित नवजीवन ट्रस्ट गांधीवादी विचारधारा से कथित तौर पर दूर होती जा रही युवा पीढ़ी को उनसे जोड़ने के एक अभिनव प्रयोग के तहत यहां आश्रम रोड स्थित अपने परिसर में 'र्कम' नाम का एक अनूठा कैफेटैरिया शुरू करने जा रहा है जिसमें काफी के साथ ही साथ बकरी के दूध सहित गांधी जी के प्रिय खाद्य पदार्थों वाली 'गांधी थाली' भी निशुल्क परोसी जाएगी। ...

    अहमदाबाद। महात्मा गांधी द्वारा स्थापित नवजीवन ट्रस्ट गांधीवादी विचारधारा से कथित तौर पर दूर होती जा रही युवा पीढ़ी को उनसे जोड़ने के एक अभिनव प्रयोग के तहत यहां आश्रम रोड स्थित अपने परिसर में 'र्कम' नाम का एक अनूठा कैफेटैरिया शुरू करने जा रहा है जिसमें काफी के साथ ही साथ बकरी के दूध सहित गांधी जी के प्रिय खाद्य पदार्थों वाली 'गांधी थाली' भी निशुल्क परोसी जाएगी। गांधी जी की पुस्तकों के आधिकारिक प्रकाशक इस ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी (मैनेजिंग ट्रस्टी) विवेक देसाई ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए बताया कि र्कम कैफे के अलावा गांधीजी से जुड़ी वस्तुों और प्रकाशनों की एक कला गैलरी 'सत्य' तथा देश के विभिन्न विकास काया6 से गांधीवादी र्दशन को जोड़ने के उद्देश्य से स्थापित नवजीवन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट का उद्घाटन गुजरात की मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल 29 जनवरी को गांधीजी के निर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर करेंगी। देसाई ने बताया कि र्कम कैफे में खाने पीने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। अलबत्ता आने वाले लोग स्वेच्छा से ट्रस्ट के लिए दान दे सकेंगे। इसमें प्रत्येक शनिवार और रविवार को विशेष गांधी थाली परोसी जाएगी। जिसमें बकरी के दूध समेत गांधी जी के प्रिय सादगी भरे व्यंजन रहेंगे। यह हमेशा एक जैसी ही नहीं होगी बल्कि इसमें बदलाव होता रहेगा। इस कैफे को एक वाचनालय (रीडिंग रूम) के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा जहां आने वाले लोग लंबे समय तक गांधी साहित्य का आनंद ले सकेंगे। यह प्रत्येक सोमवार को बंद रहेगा। सत्य गैलरी में गांधीजी तथा उनके निकट सहयोगी महादेव देसाई की छपाई मशीनों को भी प्रर्दशित किया जाएगा। युवा पीढ़ी इन माध्यमों से गांधी र्दशन को करीब से जान सकेगी। नवजीवन सेंटर का उद्देश्य विकास काया6 विशेष रूप से ग्रामीण विकास को गांधीवादी तरीके से आगे बढ़ाने में सरकार को सहयोग करना होगा। श्री देसाई ने दावा किया कि यह कहना भूल है कि पुराने तौर तरीकों से ही गांधीवाद को समझा जा सकता है। कई युवा शोधर्कता अपने दस्तावेजों में गांधी जी से जुड़े पहलुों को पुरानी पीढ़ी से बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं। युवाों को गांधीवादी र्दशन से जोड़ने के लिए सभी जरूरी कदम उठाये जाने की जरूरत है।

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