नयी दिल्ली। सरकार के निवेश आर्कषित करने के उद्देश्य से लगातार जारी आर्थिक सुधार के प्रयास और देश में कारोबार को आसान बनाने के लिए उठाए जा रहे कदम की बदौलत चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनो (अप्रैल-नवंबर अवधि) में सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 20 प्रतिशत बढकर 1.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन विभाग (डीआईपीपी) के आंकडों के अनुसार वित्त वर्ष के मुकाबले सेवा क्षेत्र में शामिल बैंकिंग, बीमा, आउटसोर्सिंग, शोध एवं विकास, कुरियल और तकनीकी जांच क्षेत्र को वित्त वर्ष 2013-14 की इसी अवधि में 1.46 अरब डॉलर विदेशी निवेश प्राप्त हुआ। सरकार की कारोबार को आसान बनाने के उद्देश्य से आवश्यक नियामक मंजूरी देने की समयसीमा तय करने जैसी अनेक घोषणाों ने घरेलू और विदेशी निवेशकों का ध्यान आर्कषित किया है। डीआईपीपी के आंकडों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के आठ महीनों में देश में कुल विदेशी निवेश में 22 प्रतिशत की बढोतरी र्दज की गई और यह वित्त वर्ष 2013-14 की इसी अवधि के 15.45 अरब डॉलर के मुकाबले बढकर 18.88 अरब डॉलर पर पहुंच गया। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वित्त वर्ष 2012-13 में सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत रहा था। इस दौरान इस क्षेत्र में विदेशी निवेश 4.83 अरब डॉलर रहा जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष यह 5.21 अरब डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2013-14 में यह 2.22 अरब डॉलर रहा। सेवा क्षेत्र के अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विदेशी निवेश 2.47 अरब डॉलर. कम्प्यूटर हार्डवेयर एंव साफटवेयर में 86.2 करोड डॉलर. ॉटोमोबाइल में 1.53 अरब डॉलर और बिजली क्षेत्र में 55 करोड डॉलर रहा। सरकार ने निवेश आर्कषित करने के उद्देश्य से बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत कर दी है। साथ ही रक्षा, रेलवे और चिकित्सा उपकरणों में निवेश बढाने के लिए एफडीआई नीति को आसान बनाया है। गौरतलब है कि देश में बुनियादी ढांचा क्षेत्र(बंदरगाह. हवाईअड्डा और राजमागा) के विकास के लिए अगले पांच साल में एक लाख करोड डॉलर विदेशी निवेश की जरूरत है