• 'जापानी नागरिक की हत्या से संबंधित वीडियो संभवत असली'

    टोक्यो| इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा बंधक बनाए गए जापानी नागरिक की हत्या से संबंधित नया वीडियो संभवत: असली है। जापानी सरकार के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने रविवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सुगा ने कहा कि जापान अभी हालांकि, यह जानने की कोशिश कर रहा है कि यह वीडियो क्लिप इस्लामिक स्टेट ने जारी किया है या नहीं। उन्होंने कहा कि जापान आईएस द्वारा बंधक बनाए गए अन्य जापानी नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए जॉर्डन और अन्य देशों के साथ मिल कर काम करेगा।...

    टोक्यो| इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा बंधक बनाए गए जापानी नागरिक की हत्या से संबंधित नया वीडियो संभवत: असली है। जापानी सरकार के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने रविवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सुगा ने कहा कि जापान अभी हालांकि, यह जानने की कोशिश कर रहा है कि यह वीडियो क्लिप इस्लामिक स्टेट ने जारी किया है या नहीं। उन्होंने कहा कि जापान आईएस द्वारा बंधक बनाए गए अन्य जापानी नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए जॉर्डन और अन्य देशों के साथ मिल कर काम करेगा। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जापान का इस्लामिक स्टेट के साथ अब तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है। इधर, शनिवार रात जारी एक ऑडियो संदेश में कहा गया है कि बंधक बनाए गए जापानी नागरिक हारूना याकूवा को मार दिया गया है। वीडियो जारी होने के तुरंत बाद जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने याकूवा के कत्ल की निंदा की है। इस मुद्दे पर बुलाई गई मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद उन्होंने जापानी नागरिक की हत्या को 'हिंसा का एक अक्षम्य कृत्य' करार दिया गया। प्रधानमंत्री ने गोतो की रिहाई की मांग करते हुए उसकी सुरक्षा को प्राथमिकता बताया। गौरतलब है कि आईएस आतंकवादियों द्वारा मंगलवार को दो जापानी बंधकों की रिहाई के लिए 72 घंटे के अंदर 20 करोड़ डॉलर की फिरौती की मांग करने से संबंधित वीडियो जारी किया गया था। प्रधानमंत्री अबे ने मध्य पूर्वी देशों में आईएस के खिलाफ लड़ाई में इतनी ही राशि देने का वादा किया था। इस वीडियो में आईएस ने जॉर्डन में कैद इसकी एक महिला सदस्य की रिहाई की भी मांग की थी। जापान के 'क्योदो न्यूज' के मुताबिक, सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव सदाकाजू तानीगाकी ने रविवार को कहा कि सरकार द्वारा आईएस की नई मांग को पूरा करना आसान नहीं है, क्योंकि आतंकवादियों से किसी भी तरह का समझौता करने वाले देशों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कानून मौजूद है।

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