• भाजपा सरकार गरीब-किसान विरोधी

    नई दिल्ली ! कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के 'उद्देश्य और इरादे की हत्या' करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि यह 'देश के करोड़ों मेहनतकश गरीबों के साथ भद्दे मजाक का प्रयास है।' कांग्रेस ने गरीबों को सब्सिडी पर अनाज देने की जगह नकदी देने की नीति की आलोचना भी की।...

    नई दिल्ली !   कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के 'उद्देश्य और इरादे की हत्या' करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि यह 'देश के करोड़ों मेहनतकश गरीबों के साथ भद्दे मजाक का प्रयास है।' कांग्रेस ने गरीबों को सब्सिडी पर अनाज देने की जगह नकदी देने की नीति की आलोचना भी की।यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा सरकार किसान विरोधी और गरीब विरोधी हो गई है।उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम की आत्मा और तात्पर्य की हत्या करने की तैयारी कर रही है। इस अधिनियम के तहत आने वाले योग्य पात्रों की संख्या 67 से घटाकर 40 फीसदी की जा रही है।"कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह कहा जाता है कि उनकी अनुमति के बगैर कोई भी ऐसा नहीं कर सकता।उन्होंने कहा, "सिफारिश (योग्य पात्रों की संख्या कम करने की) एक समिति द्वारा की गई है जिसका गठन मोदी द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिनियम की परीक्षा करने के लिए की गई थी।"उन्होंने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में स्वच्छ और पारदर्शी तरीके से मुआवजा पाने के अधिकार में एक अध्यादेश के जरिए संशोधन किए जाने पर सरकार की आलोचना की और इसे 'किसान विरोधी' संशोधन बताया।सुरजेवाला ने आगे कहा, "इससे सत्तासीन लोगों के गरीब और किसान विरोधी चेहरा उजागर होता है।"कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या संसद में खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 का समर्थन करने के पीछे भाजपा का इरादा यही था कि सत्ता में आने पर इस अधिनियम की आत्मा और तात्पर्य की हत्या कर दी जाएगी?"कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे भाजपा का सिर्फ गलत इरादा ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'तानाशाही' भी उजागर होती है, क्योंकि सबको पता है कि मोदी की अनुमति के बगैर इसमें कोई कुछ नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अध्ययन और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पुर्नगठित करने के लिए गठित शांता कुमार समिति ने अगले तीन वर्षो तक खाद्यान्न मुहैया कराने की जगह शेष 40 प्रतिशत लाभार्थियों को सीधा नगद हस्तांतरित करने की सिफारिश की। कैसे गरीब आदमी सब्सिडी की छोटी सी राशि पर बाजार की मौजूदा कीमत पर खाद्यान्न खरीद सकेंगे।कांग्रेस नेता ने इस बात पर भी हैरत जताई कि नकद हस्तांतरण नीति आने के बाद सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान एवं अन्य की खरीद भी रोक देगी, क्योंकि खाद्यान्न के भंडार को परिपूर्ण बनाए रखने के लिए खरीदी की जाती है। सच तो यह है कि खाद्यान्न भंडार पहले से परिपूर्ण है।उन्होंने कहा, "ये सभी बातें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, सरकार को देश के सामने निश्चित रूप से यह साफ करना चाहिए कि आखिर उसका इरादा क्या है?"

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