• कम बजट की फिल्मों के लिए अब परेशानी नहीं : तिग्मांशु

    निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने 'हासिल' और 'चरस' जैसी कम बजट की फिल्मों से बॉलीवुड में शुरुआत की थी।...

    निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने 'हासिल' और 'चरस' जैसी कम बजट की फिल्मों से बॉलीवुड में शुरुआत की थी। उन्हें इस बात की खुशी है कि हिंदी फिल्मोद्योग में कम बजट की फिल्मों को भी मंच मिल रहा है। तिग्मांशु कहते हैं कि प्रदर्शन और वितरण के नए विकल्प उनके जैसे फिल्मकारों को प्रोत्साहित करते हैं।

    तिग्मांशु ने एक ई-मेल साक्षात्कार में कहा, "कम बजट की फिल्मों को अब और परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। बड़े बजट की फिल्म के बड़े स्तर पर प्रदर्शन की आवश्यकता होती है लेकिन कम बजट की फिल्म को छोटे स्तर पर भी प्रदर्शित किया जा सकता है।"

    उन्होंने कहा, "यदि साल में केवल चार या पांच फिल्में ही सफल होती हैं तो आप हर साल 200 से ज्यादा फिल्में बनाने के विषय में क्यों सोचते हैं। जो लोग पांच करोड़ से छह करोड़ तक कि छोटी पूंजी फिल्मों में लगाते हैं वे मूर्ख नहीं हैं।"


    तिग्मांशु ने अपने दो दशक के फिल्मी करियर में फिल्मोद्योग में बहुत से उत्साहजनक बदलाव देखे हैं।

    वह कहते हैं, "वितरण और प्रदर्शन के क्षेत्र में नए विकल्प सामने आए हैं। छोटे शहरों में भी मल्टीप्लेक्स बन गए हैं, इससे फिल्मों की सामग्री प्रभावित हुई है। अब फिल्मी संगीत की सीडी नहीं खरीदी जातीं बल्कि कम्पनियां इंटरनेट के जरिए डाउनलोडिंग से पैसा कमा रही हैं। यदि एक फिल्म की सामग्री अच्छी हो और उसे कम बजट में बनाया गया हो तो उसे निश्चित तौर पर दर्शक मिलेंगे। अब नई तरह की फिल्मों का स्वागत हो रहा है।"

    तिग्मांशु ने 1990 में शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से कास्टिंग निर्देशक के बतौर अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने 'दिल से' की पटकथा लिखी। उन्होंने 'हासिल' (2003) और 'चरस: ए ज्वाइंट ऑपरेशन' (2004) का निर्देशन किया।

    उनकी नई फिल्म 'शागिर्द' 13 मई को प्रदर्शित होने जा रही है। रिलायंस एंटरटेनमेंट के निर्माण में बनी इस फिल्म में नाना पाटेकर ने मुख्य भूमिका निभाई है।

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