• चीन से जापान, भारत व अमरीका मिलकर पाएंगे पार

    नई दिल्ली ! एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को थामने के मकसद से बनी भारत अमरीका और जापान की तिकड़ी ने अपनी रणनीतिक साझीदारी को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता से चिंतित तीनों देशों ने अपने त्रिपक्षीय संवाद को विदेश मंत्री के स्तर तक ले जाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, तीन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आपसी हितों के विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।...

    एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने की तैयारी  नई दिल्ली !  एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को थामने के मकसद से बनी भारत अमरीका और जापान की तिकड़ी ने अपनी रणनीतिक साझीदारी को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता से चिंतित तीनों देशों ने अपने त्रिपक्षीय संवाद को विदेश मंत्री के स्तर तक ले जाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, तीन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आपसी हितों के विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। तीनों देशों के राजनयिकों ने भारत, प्रशांत वाणिज्यिक संपर्क के विस्तार, समुद्री सुरक्षा, बहुपक्षीय मंचों पर एकजुटता एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया। उन्होंने तीनों देशों एवं उनके साझीदारों के समान हितों वाली प्रस्तावित परियोजनाओं का भी जायजा लिया। तीनों देशों के बीच हाल ही में शिखर स्तरीय संवाद हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान और अमरीका का दौरा किया जबकि जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आए थे। भारत ने अगले गणतंत्र दिवस समारोह में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। इस त्रिपक्षीय व्यवस्था को उस समय गति मिली जब मोदी सरकार ने भारत की लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में बदलने का निर्णय लिया। इस त्रिपक्षीय संवाद को ऐसे समय बढ़ाने का निर्णय लिया गया है जब जापान चीन संबंधों में तनाव द्विपक्षीय समुद्री विवाद को लेकर बढ़ गया है। भारत का चीन के साथ जमीनी सीमा पर भी इस वर्ष दो बार टकराव की नौबत आ चुकी है। गौरतलब है कि चीन के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए भारत जापान व अमेरिका एकजुट होकर चीन की नापाक कोशिशों को असफल करने का फैसला किया है। तीनों देश चीन सागर में चीन की बढ़ते प्रभुत्व से खफा हैं और इस समस्या से विश्व को उबारना चाहते हैं।

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