• मनमोहन सिंह की दिनचर्या पूर्व की तरह ही व्यस्त

    नई दिल्ली ! पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पद से मुक्त हुए 200 दिन हो चुके हैं, लेकिन आज भी उनकी दिनचर्या पूर्व की तरह ही व्यस्त है। वह प्रतिदिन आधे दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं, पार्टी बैठकों में हिस्सा लेते हैं और लोगों से मिलते हैं। उन्होंने अब तक संस्मरण लिखने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। ...

    नई दिल्ली !   पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पद से मुक्त हुए 200 दिन हो चुके हैं, लेकिन आज भी उनकी दिनचर्या पूर्व की तरह ही व्यस्त है। वह प्रतिदिन आधे दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं, पार्टी बैठकों में हिस्सा लेते हैं और लोगों से मिलते हैं। उन्होंने अब तक संस्मरण लिखने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। सिंह के एक सहयोगी ने कहा कि नहीं, कोयला आवंटन घोटाला मामले में अदालत के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उनसे पूछताछ करने के निर्देश देने के बाद से वह परेशान नहीं हैं। देश के 13वें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उम्र और तबियत खराब होने को दरकिनार करते हुए कार्यो में व्यस्त रहने के लिए जाने जाते हैं।सहयोगी ने आईएएनएस से कहा कि एक दशक तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के प्रमुख के तौर पर व्यस्तता से मुक्त होने के बाद आज भी वह अपने को पूरी तरह व्यस्त रखते हैं। यहां तक कि उन्होंने साक्षात्कार देने से भी इनकार कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकसभा चुनाव में जीत के बाद मनमोहन सिंह (82) ने मई में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और तब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी। सहयोगी ने उन अटकलों को खारिज किया जिसमें कहा जा रहा था कि मनमोहन सिंह संस्मरण लिख रहे हैं। सहयोगी ने कहा, "वह कोई किताब नहीं लिख रहे हैं। अब तक उन्होंने इस पर मन नहीं बनाया है।"देश के पहले सिख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हल्की नीली पगड़ी उनकी पहचान बन चुकी है। वह आमतौर पर गर्मियों में चूड़ीदार कुर्ता और सर्दी में बंदगला सूट पहनते हैं, लेकिन नीली पगड़ी आज भी उनके साथ जुड़ी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री की 2009 में कोरोनरी बायपास सर्जरी हुई थी और इस वजह से वह स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहते हैं। वह स्वस्थ रहने के लिए रोजाना टहलते हैं और व्यायाम करते हैं जिससे फिट रह सकें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज भी उनसे मिलती हैं और मशविरा लेती हैं। सहयोगी ने कहा, "मैडम पिछले हफ्ते आई थीं, वह सलाह के लिए आती हैं।"मनमोहन सिंह ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री हैं और भारत में 1991 में शुरू हुए उदारीकरण के पीछे उन्हीं का दिमाग माना जाता है। सिंह ने इस माह कहा था कि भारत अगर वैश्विक दुनिया से लाभ की पद्धति पर 'राष्ट्रीय सहमति' कायम कर ले तो 8-9 फीसदी विकास दर हासिल की जा सकती है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश ने करीब एक दशक तक 8.5 फीसदी की दर से विकास किया, हालांकि पिछले कुछ वर्षो में यह गिरकर आधी रह गई और इसके लिए सरकार ने वैश्विक मंदी, तेल की ऊंची कीमतों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रोत्साहन पैकेज वापस लेने को जिम्मेदार ठहराया।भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए जापान ने नवंबर में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ग्रांड कॉर्डन आफ द ऑर्डर आफ द पॉलोनिया फ्लावर्स' से मनमोहन सिंह को सम्मानित किया।

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