• जीएसटी पर जन अभिमत तैयार करे उद्योग जगत : जेटली

    नई दिल्ली ! वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पेश किए जाने के अगले दिन शनिवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उद्योग जगत से आग्रह किया कि देश की प्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार संबंधी कानून पारित कराने के लिए वह राज्यों में जन अभिमत तैयार करें। जेटली ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए...

    नई दिल्ली !   वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पेश किए जाने के अगले दिन शनिवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उद्योग जगत से आग्रह किया कि देश की प्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार संबंधी कानून पारित कराने के लिए वह राज्यों में जन अभिमत तैयार करें। जेटली ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "जो भी राज्य जीएसटी से सहमत नहीं होते हैं, मेरी सभी घटकों को सलाह है कि वे उन राज्यों में जाएं और उन्हें समझाएं तथा सार्वजनिक राय निर्मित करें।"जेटली ने कहा कि इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है और देश के आधा राज्यों में इसे पारित होना आवश्यक है, तब जाकर यह कानून बन पाएगा। उन्होंने कहा कि बुनियादी मुद्दों पर एक साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण का आह्वान किया।जेटली ने खासतौर से राज्यसभा में सुधार संबंधित कदमों को बाधित करने के लिए विरोधी विचारधारा के दलों के एकजुट होने का जिक्र करते हुए कहा, "आज हमारे सामने एक स्पष्ट विकल्प है, या तो सुधार कीजिए अन्यथा बस छूट जाएगी। यह एक बिल्कुल स्पष्ट विकल्प है कि यदि हमने दोबारा सुधार रूपी बस छोड़ दी तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।"उल्लेखनीय है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वर्ष 2011 में जीएसटी पेश करने की दिशा में लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था।राज्य पांच वर्ष का मुआवजा पैकेज चाहते हैं और विधेयक में इसे शामिल कराना चाहते हैं।जेटली ने राज्यसभा में शुक्रवार को यह विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि विधेयक का मकसद देशभर में वस्तुओं एवं सेवाओं का अबाध आवागमन सुनिश्चित कराना है।उन्होंने कहा, "जीएसटी राज्यों व केंद्र दोनों के लिए लाभकारी होगा। जीएसटी एक ऐसा सुधारवादी कदम है, जिससे पूरा देश एक तनहा बाजार में परिवर्तित हो जाएगा और इससे तमाम करों से मुक्ति मिल जाएगी।"इससे पहले सात राज्यों के वित्त मंत्रियों ने गुरुवार को जीएसटी विधेयक के मसौदे को अस्वीकार कर दिया और कहा कि इस विधेयक में मुआवजे, प्रवेश कर और पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर उनकी चिंता पर विचार नहीं किया गया है।राज्य पेट्रोलियम उत्पादों, शराब और तंबाकू को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहते हैं।जीएसटी में राज्य एवं केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले सभी करों जैसे आबकारी, सेवा कर, वैट और बिक्री कर को जीएसटी में ही समावेशित कर दिया गया है, जिससे कि पूरे देश में बाजार एकसमान हो सके।जेटली ने कहा, "पंजाब और मणिपुर की जरूरतें अलग-अलग हैं। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था पर समान नियंत्रण रखना है, जो विकास के अलग-अलग स्तरों पर होने के बावजूद सभी राज्यों में एक जैसी योजनाएं चल रही हैं।"जेटली ने घट रहे औद्योगिकी उत्पादन के आंकड़ों का उल्लेख भी किया और कहा कि उत्पादन क्षेत्र में आई गिरावट के कारण नकारात्मक वृद्धि की परिस्थिति पैदा हुई है।

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