• जीएसटी विधेयक लोकसभा में पेश

    नई दिल्ली ! केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चिर प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पेश कर अप्रत्यक्ष कर में सुधार का रास्ता खोला। विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कानून को बनाने का मकसद यह है कि पूरे देश में वस्तु एवं सेवा बिना बाधा के स्थानांतरित हो।...

    नई दिल्ली !   केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चिर प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पेश कर अप्रत्यक्ष कर में सुधार का रास्ता खोला। विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कानून को बनाने का मकसद यह है कि पूरे देश में वस्तु एवं सेवा बिना बाधा के स्थानांतरित हो।जेटली ने इसे 1947 के बाद सबसे महत्वपूर्ण कर सुधार बताया। उन्होंने कहा कि इस पर संसद के अगले सत्र में चर्चा होगी।जेटली ने कहा कि जीएसटी केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए हितकर है।उन्होंने कहा, "जीएसटी केंद्र और राज्य दोनों के लिए लाभकारी है। जीएसटी एक महत्वपूर्ण कानून है और इस अकेले कानून से पूरा देश एक बाजार बन जाएगा और (बाजार को) एक कर के बाद दूसरे कर के जंजाल से मुक्ति मिल जाएगी।"जीएसटी में पूरे देश के लिए एक बिक्री कर का प्रस्ताव है, जिसमें राज्यों में लगने वाले अनेक प्रकार के कर समा जाएंगे, जिससे निवेश बाधित हो रहा है।उन्होंने कहा कि यहां एक बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) के बीच लगभग सहमति बन गई है।जेटली ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर राज्य का हित पूरा हो और किसी भी राज्य की आय का एक रुपये का भी नुकसान न हो।"जीसटी सुधार से सहकारिता संघवाद का सिद्धांत मजबूत होगा, क्योंकि केंद्र और राज्य को मिलकर फैसला लेना होगा, जिसके लिए जीएसटी परिषद में 75 फीसदी बहुमत की मंजूरी की जरूरत होगी।विधेयक पेश करने के बाद संवाददाताओं से जेटली ने कहा, "राज्यों के साथ हुई मेरी बैठक में उनमें राजनीति मुद्दे पर मतभेद नहीं था। वे केंद्र और राज्य संबंध में सुविधा चाह रहे थे। यही भारतीय संघवाद का सबसे सुनहरा पक्ष है।"पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने जीएसटी पेश करने के लिए 2011 में लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। राज्यों ने पांच साल तक क्षतिपूर्ति की मांग की है और इसे विधेयक में शामिल करने की भी मांग की है।जेटली ने कहा कि केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) में कटौती के कारण राज्यों को हुए नुकसान की आंशिक भरपाई के लिए राज्यों को मौजूदा कारोबारी वर्ष में 11 हजार करोड़ रुपये दिए जाएंगे।भरपाई का मुद्दा इसलिए उठा, क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य स्तर पर एक अप्रैल 2005 को वैट लागू होने के बाद विभिन्न चरणों में सीएसटी को चार फीसदी से घटाकर दो फीसदी कर दिया है।सीएसटी एक केंद्रीय कर है, जिसकी वसूली राज्य करते हैं।आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को जीएसटी को मंजूरी दी थी, जिससे संसद में पेश किए जाने का रास्ता साफ हो गया था।इस विधेयक को काूनन बनने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा और देश के 29 राज्यों में से आधे की विधायिका में भी पारित होना होगा।जीएसटी लागू होने से केंद्र और राज्यों के अनेक कर समाप्त हो जाएंगे और पूरो देश कर के मामले में एक विशाल बाजार बन जाएगा, जिससे कारोबार फैलाने की सुविधा होगी और जिसके कारण आपूर्ति श्रंखला मजबूत होगी।नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के मुताबिक जीएसटी पूरी तरह से लागू होने से विकास दर में 0.9-1.7 फीसदी तक की वृद्धि होगी।ताजा घटनाक्रम पर केपीएमजी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन मेनन ने कहा, "यह भारतीय वित्तीय सुधार के इतिहास में मील का पत्थर है। 2006 के बाद से जीएसटी को लाने के लिए किए गए सभी कार्यो के योगदान को देश याद रखेगा।"

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