• दवा मूल्यों में भारी इजाफे पर घिरी सरकार

    नई दिल्ली ! कैंसर, मधुमेह, रैबीज और एचआईवी की दवाओं की कीमतों में पांच से बारह गुना के इजाफे को लेकर आज लोकसभा में सांसदों का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा और उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशी शक्तियों के दबाव में नरेन्द्र मोदी सरकार ने 108 जीवनरक्षक दवाओं के मूल्य नियंत्रण संबंधी दिशा निर्देश वापस ले लिए जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग के रोगियों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है। ...

    नई दिल्ली !    कैंसर, मधुमेह, रैबीज और एचआईवी की दवाओं की कीमतों में पांच से बारह गुना के इजाफे को लेकर आज लोकसभा में सांसदों का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा और उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशी शक्तियों के दबाव में नरेन्द्र मोदी सरकार ने 108 जीवनरक्षक दवाओं के मूल्य नियंत्रण संबंधी दिशा निर्देश वापस ले लिए जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग के रोगियों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है।  लोकसभा में जीवन रक्षक औषधियों की कीमतों में वृद्धि एवं नकली दवाओं के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर संकट से उत्पन्न स्थिति पर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की रंजीता रंजन ने कहा कि  इस वर्ष जुलाई में केन्द्र सरकार ने 108 जीवनरक्षक दवाओं के मूल्यों पर नियंत्रण करने के लिए एक आदेश दिया था जिस बारे में जारी दिशा निर्देशों को सितंबर में श्री मोदी की अमरीका यात्रा के चंद दिनों पहले वापस ले लिया गया।  गरीब आदमी इलाज के दौरान जिन प्रमुख कारणों से मर रहा है, उनमें अस्पतालों की गंदगी, आपरेशन की महंगी दरें, इलाज गलत दिशा में होना और उसमें लापरवाही होना तथा नकली एवं एक्सपायरी डेट के बाद वाली दवाओं का इस्तेमाल प्रमुख है।  उन्होंने कहा कि देश में 61 दवाओं के पेटेंट अवधि समाप्त हो गई है। सरकार ने इस संबंध में क्या नीति है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। उन्होंनें इस बात पर अफसोस जताया कि भारत में विश्व की 16 फीसदी आबादी रहती है लेकिन स्वास्थ्य पर खर्च मात्र एक प्रतिशत किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि भारत  में चिकित्सा एक धन्धा बन गया है और नकली दवा. गलत इलाज, डाक्टरों की लापरवाही के कारण देश में स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हैं।  दवाओं के मूल्यों में हुआ इजाफारंजन ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कैंसर की दवा 8500 रुपए से बढकर एक लाख 8000 रुपए, रक्तचाप की दवा 147 से बढ़कर 1615 रुपए, रैबीज की दवा 2670 रुपए की बजाय 7000 रुपए हो गई है।    देशभर में खुलेंगे तीन हजार जन औषधि केंद्रजीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में वृद्धि के आरोपों को खारिज करते हुए आज सरकार ने कहा कि आम जनता को सस्ती और बेहतर दवा उपलबध कराने के लिए देश भर में तीन हजार जन औषधि केंद्र और खोले जाएंगे। लोकसभा में जीवन रक्षक औषधियों की कीमतों में वृद्धि एवं नकली दवाओं के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर संकट से उत्पन्न स्थिति पर एक ध्यानाकर्र्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि विपक्ष के कुछ बड़े नेता दवाई के दाम बढऩे का कुप्रचार कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसी भी दवा की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है। कुछ दवाओं की कीमती में कमी अवश्य हुई है।  दवा की कीमतों और उनकी गुणवत्ता निर्धारण के लिए एक प्रणाली स्थापित की गई है।इसके अनुसार प्रत्येक दवा कंपनी को तिमाही के आधार पर अपनी एक रिपोर्ट सरकार को देनी होती है। जिसमें दवा की कीमत. उत्पादित मात्रा. वितरण और गुणवत्ता की जानकारी होती है।     श्री कुमार ने कहा कि कहा जा रहा है कि कैंसर की दवा की कीमत आठ हजार रूपए से बढकर एक लाख आठ हजार रूपए हो गयी है। वास्तविक स्थिति यह है कि इस दवा कीमत नयी सरकार के आने के बाद से कुछ सौ रूपए घट गयी है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय में    मूल्य नियंत्रित दवाों की संख्या 440 थी जोकि अब 670 हो गयी है। इस सूची में जोडी गयी नयी दवाएं कैंसर. मधुमेह और ह्दय संबंधी रोग की है।     उन्होंने कहा कि दवाों के मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता निर्धारण में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। इनका निर्धारण एक स्वतंत्र संस्था द्वारा किया जाता है।

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