• कोयला ब्लॉक पर 'सीईएससी' की याचिका खारिज

    नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कोयला ब्लॉक पर जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश 2014 नीलामी के माध्यम से कोयला ब्लॉक आवंटन करने के लिए लाया गया है। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड (सीईएससी) की याचिका खारिज कर दी।...

    नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कोयला ब्लॉक पर जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश 2014 नीलामी के माध्यम से कोयला ब्लॉक आवंटन करने के लिए लाया गया है।न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड (सीईएससी) की याचिका खारिज कर दी।अध्यादेश में पहले से उत्खनित कोयले पर पिछली तिथि के प्रभाव से प्रति टन 295 रुपये की लेवी लेने की व्यवस्था की गई है और इसके भुगतान को रद्द कोयला ब्लॉक की नीलामी में हिस्सा लेने के लिए एक शर्त के रूप में शामिल किया गया है।याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि इसके कारण उस पर 990 करोड़ रुपये की देनदारी बन गई है और उसका भुगतान करने में वह असमर्थ है।एक अन्य याचिकाकर्ता इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड ने भी अध्यादेश को चुनौती दी थी, लेकिन सुनवाई के दौरान कंपनी के अनुरोध पर उसकी याचिका को वापस लिया हुआ करार देते हुए खारिज कर दिया गया।अध्यादेश को चुनौती देने वाली और आवंटन रद्द करने के अदालत के फैसले से और लेवी लगाए जाने से छूट पाने के कई आवेदनों के बारे में महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि ये सभी आवेदन अध्यादेश के प्रभाव को लागू करने में, नीलामी में और और देश की अर्थव्यवस्था में देरी करने के लिए हैं पेश किए गए हैं।सर्वोच्च न्यायालय ने 24 सितंबर को एक आदेश के जरिए 1993 से 2011 के बीच आवंटित 214 कोयला ब्लॉक रद्द कर दिए थे। अदालत ने हालांकि एनटीपीसी, सेल और सासन अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना को दिए गए ब्लॉकों को को आदेश के प्रभाव से अलग रखा था।

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