• सीबीआई प्रमुख चयन प्रक्रिया संबंधी विधेयक पारित

    नई दिल्ली ! संसद में गुरुवार को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक में सीबीआई प्रमुख की चयन समिति में विपक्ष के नेता की जगह लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को शामिल करने का प्रावधान है। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (संशोधित) विधेयक-2014 गुरुवार को राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया।...

    नई दिल्ली !   संसद में गुरुवार को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक में सीबीआई प्रमुख की चयन समिति में विपक्ष के नेता की जगह लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को शामिल करने का प्रावधान है। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (संशोधित) विधेयक-2014 गुरुवार को राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया। इससे पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सदन को भरोसा दिलाते हुए कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति पर सरकार सभी को साथ लेकर काम करने का इरादा रखती है और व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चाहती है।दो दिसंबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो रहा है, इसीलिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। बुधवार को लोकसभा से यह विधेयक पारित हुआ था।दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय समिति का प्रावधान है, जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), भारत के मुख्य न्यायाधीश या फिर उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष मिलकर केंद्र सरकार से सिफारिश कर सकते हैं।संशोधन विधेयक में नेता विपक्ष के प्रावधन को बदल दिया गया है। सरकार की दलील थी, चूंकि मौजूदा समय में कोई नेता विपक्ष नहीं है, इसीलिए सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता इस समिति का हिस्सा होगा।मौजूदा लोकसभा में किसी को भी नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं है। वैधानिक प्रावधानों के मुताबिक यह पद उस पार्टी को दिया जाता है जिसके पास कुल सदस्यों की संख्या के 10 फीसदी सदस्य हों। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी भी पार्टी को 55 सदस्यों की जरूरत होती है। लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस है और मल्लिकार्जुन खड़गे इसके नेता हैं। विधेयक पर चर्चा के उत्तर में जेटली ने कहा कि सरकार लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को सम्मान प्रदान करेगी।जेटली ने कहा, "हम विपक्ष के साथ आम सहमति चाहेंगे। हम व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चाहते हैं।"उन्होंने कहा, "विधेयक के पीछे हमारा उद्देश्य है कि सीबीआई निष्पक्ष हो, और इसमें विपक्ष भी शामिल होना चाहिए।"उन्होंने स्वीकारा कि कुछ कानूनों की भाषा में विसंगतियां हैं।सूचना का अधिकार अधिनियम की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें चयन प्रक्रिया में सबसे बड़ी पार्टी की जगह 'सबसे बड़े समूह' का प्रवाधान है।जेटली ने कहा कि अगर सरकार इस विधेयक में भी इसी शब्द का प्रयोग करती तो संभव था कि लोकसभा में दो पार्टियां हाथ मिला लेतीं और अपने आपको सबसे बड़ा समूह बतातीं।उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "मैं तृणमूल कांग्रेस को नया विचार नहीं दे रहा हूं।"जेटली ने कहा कि कुछ जगहों पर विभिन्न कानूनों में भाषा की विसंगतियां दूर करनी होंगी।

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