• सीमा पर युद्धविराम ने पूरे किए 12 साल

    श्रीनगर ! लाखों लोगों की खुशी का दूत बनने वाला युद्धविराम आज रात 12 साल पूरे कर रहा है। जम्मू कश्मीर की 1202 किमी लम्बी एलओसी तथा सीमाओं पर 12 साल पहले लागू हुए इस युद्धविराम ने लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाने के साथ ही उन्हें जिन्दगी के सही अर्थ समझा दिए हैं। हालांकि पिछले 12 सालों से सीमाओं पर दो 'परम्परागतÓ दुश्मन सेनाओं की बंदूकें अधिकतर शांत रही हैं मगर घुसपैठ के न रूकने से भारतीय बंदूकों को अक्सर आग उगलनी पड़ रही है।...

    सीमा पर घुसपैठ अभी भी बनी हुई है भारत की चिंताश्रीनगर !   लाखों लोगों की खुशी का दूत बनने वाला युद्धविराम आज रात 12 साल पूरे कर रहा है। जम्मू कश्मीर की 1202 किमी लम्बी एलओसी तथा सीमाओं पर 12 साल पहले लागू हुए इस युद्धविराम ने लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाने के साथ ही उन्हें जिन्दगी के सही अर्थ समझा दिए हैं। हालांकि पिछले 12 सालों से सीमाओं पर दो 'परम्परागतÓ दुश्मन सेनाओं की बंदूकें अधिकतर शांत रही हैं मगर घुसपैठ के न रूकने से भारतीय बंदूकों को अक्सर आग उगलनी पड़ रही है।वर्ष 2002 में भी ऐसा ही युद्धविराम एलओसी पर घोषित हुआ था। मगर वह छह माह तक ही जीवित रह पाया था क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने उसका बार-बार उल्लंघन करते हुए भारतीय सेना को मजबूर किया था कि वह उसके नापाक इरादों का मुहंतोड़ जवाब देने की खातिर अपनी बंदूकों और तोपों का मुहं खोले। मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं है। अगर कुछ हैं तो दोनों देशों को बांटने वाली सीमा रेखा से सटे खेतों में कार्य करते दोनों मुल्कों के किसान दिखते हैं तो विश्व के सबसे ऊंचाई वाले युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड में ढके हुए तोपों के मुहं ही नजर आते हैं। हालांकि युद्धविराम सेना के लिए चिंता का विषय भी है। उसकी चिंता पाकिस्तानी सेना की मोर्चेबंदी की तैयारियां हैं। अगर पाक सेना ने जम्मू सीमा के सामने वाले क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर सीमा से सटे इलाकों में मोर्चाबंदी करने के अतिरिक्त रक्षा बांध का निर्माण कर लिया है वहीं एलओसी के क्षेत्रों में वह उन स्थानों पर चौकियां स्थापित करने में कामयाब हुई है जहां वह 18 सालों में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई थी। वैसे भारतीय पक्ष की ओर से इन निर्माणों पर विरोध तो दर्ज करवाया है लेकिन उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ।पहली बार इतना लम्बा चला युद्धविरामइस युद्धविराम की जिम्मेदारी निभाने वाली सेना की उत्तरी कमान के रक्षा प्रवक्ता ने बताया, 18 सालों में पहला अवसर है की पूरे 12 साल हो गए और सीमाओं व एलओसी पर तोपों की गूंज नहीं सुनाई दी है। वे आगे कहते हैं। दोनों सेनाओं ने एक दूसरे पर एक भी गोली नहीं दागी है। लेकिन इतना जरूर है कि भारतीय सैनिकों को अपनी बंदूकों के मुंह उस समय जरूर खोलने पड़ रहे हैं जब उस ओर से धकेले गए घुसपैठियों को मार गिराने की कार्रवाई करनी पड़ती है।

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