• आतंक को जवाब देने व विकास के लिए डाले गए वोट

    श्रीनगर ! ।किश्तवाड़ के 69 साल के आलमद्दीन किसी भी कीमत पर मतदान में हिस्सा लेना चाहते थे। अपने दो बेटों को आतंकी हिंसा में गंवा चुके आलमद्दीन का मतदान करने का मकसद यही था कि लोकतंत्र की जीत हो ताकि आतंकवाद का खात्मा हो। पांच चरणों में होने जा रहे चुनावों के पहले चरण के मतदान में आज शामिल हुए वोटरों की भले ही अलग-अलग कथाएं थीं लेकिन सबका मकसद एक ही था।...

    हर तरह के खौफ को मतदाताओं ने किया नजरअंदाज श्रीनगर !   किश्तवाड़ के 69 साल के आलमद्दीन किसी भी कीमत पर मतदान में हिस्सा लेना चाहते थे। अपने दो बेटों को आतंकी हिंसा में गंवा चुके आलमद्दीन का मतदान करने का मकसद यही था कि लोकतंत्र की जीत हो ताकि आतंकवाद का खात्मा हो। पांच चरणों में होने जा रहे चुनावों के पहले चरण के मतदान में आज शामिल हुए वोटरों की भले ही अलग-अलग कथाएं थीं लेकिन सबका मकसद एक ही था।   वे सभी बिना किसी खौफ  के मतदान प्रक्रिया में शामिल हुए तो आतंकियों के दिलों पर सांप जरूर लोटा होगा। आखिर लोटे भी क्यों न, 25 सालों के आतंकवाद के बावजूद वे राज्य की जनता को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से विमुख नहीं कर सके। बांडीपोरा की निगत भी पहली बार वोट डालने आई तो उसके मन पर कोई खतरा नहीं था। उसके जेहन में बस एक ही बात छाई थी कि उसे बेरोजगार नहीं रहना है। अगर राज्य में चुनी हुई सरकार आती है तो रोजगार के साधन मुहैया करवाए जाएंगे। न ही आतंकवाद और न ही चुनाव बहिष्कार से कुछ बनने वाला है। लद्दाख क्षेत्र के लेह, नुब्रा, जंस्कार और करगिल विधानसभा क्षेत्रों में कंपकपाती ठंड के बावजूद विभिन्न मतदान केंद्रों पर सुबह से ही मतदाताओं की लंबी कतारें लगनी आरंभ हो गई थीं। वहीं अन्य जगहों में तेज ठंड के कारण शुरुआत में मतदान की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमा रहा। वहीं गंदरबल के  अलगाववादी नेता परेशान इसलिए हो उठे हैं क्योंकि उसका चुनाव बहिष्कार सिर्फ  मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के सिवाय कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाया है। पहली बार गंदरबल में देखी गई लम्बी-लम्बी कतारों ने न सिर्फ राजनीतिक पंडितों को बल्कि हुर्रियत समेत अन्य अलगाववादी नेताओं को भी हतप्रभ कर दिया है। हालांकि यह तो समय ही बता पाएगा कि गंदरबल से किस उम्मीदवार को फायदा होता है पर सर्दी की परवाह किए बिना मतदान के लिए घरों से बाहर निकली भीड़ को देख कहीं नहीं लगता था कि हुर्रियत के चुनाव बहिष्कार के आह्नान का कहीं कोई असर हो।  गंदरबल जिले के लगभग सभी मतदान केंद्रों पर मतदान के लिए लगी लम्बी-लम्बी कतारें कई पत्रकारों ने भी पहली बार देखी थी। वे हैरान थे। ऐसी लाइनें अभी तक बिजली का बिल भरने, गैस का सिलेंडर खरीदने जैसे माहौल में ही मिला करती थीं और मतदान केंद्रों के बाहर ऐसी लाइनों ने सभी को चौंकाया जरूर था। शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस कम तापमान के  बावजूद लद्दाख क्षेत्र के चार विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान स्थलों पर जुटे थे। कई मतदान स्थलों के बाहर तो पुरुषों से अधिक महिलाएं दिखाई दी थीं। राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से 20 किमी उत्तर में सोनावरी विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर सुबह से ही मतदाताओं ने जुटना शुरू कर दिया था। 

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