• एशिया में परमाणु बिजली का विस्तार

    चीन और दक्षिण कोरिया में परमाणु ऊर्जा के लिए सर्वाधिक अनुकूल नीति है और दोनों ही देशों में परमाणु बिजली परियोजनाओं की संख्या भी काफी अधिक हैं। यह बात सोमवार को वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (एमआईएस) ने कही। एमआईएस ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिका गैस मूल्य काफी कम है और यूरोप नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है। इसके कारण दोनों ही क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का संकुचन हो रहा है।...

    चेन्नई | चीन और दक्षिण कोरिया में परमाणु ऊर्जा के लिए सर्वाधिक अनुकूल नीति है और दोनों ही देशों में परमाणु बिजली परियोजनाओं की संख्या भी काफी अधिक हैं। यह बात सोमवार को वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (एमआईएस) ने कही। एमआईएस ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिका गैस मूल्य काफी कम है और यूरोप नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है। इसके कारण दोनों ही क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का संकुचन हो रहा है।वहीं दूसरी ओर फुकुशिमा हादसे के बाद जनविरोध के बावजूद जापान कुछ परमाणु परियोजनाओं को फिर से शुरू करना चाहता है। मूडीज के सहायक प्रबंध निदेशक पैट्रिक मिसपागेल ने कहा, "अधिकतर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में परमाणु ऊर्जा को सरकार का समर्थन हासिल रहने के बाद भी प्राकृतिक गैस की कम कीमत के कारण परमाणु बिजली की प्रतिस्पर्धात्मकता घट गई है।" उन्होंने कहा, "परिणामस्वरूप कुछ ही देशों में परमाणु बिजली का विस्तार हो रहा है। वे देश हैं मुख्यत: चीन और दक्षिण कोरिया।"मिसपागेल मूडीज की नई रिपोर्ट 'ग्लोबल न्यूक्लियर जेनरेशन प्रॉस्पैक्ट्स पावर अप इन एशिया बट पावर डाउन एल्सव्हेयर' के जारी होने के मौके पर बोल रहे थे।  रिपोर्ट में सात बाजारों-चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में परमाणु बिजली उत्पादन की संभावना की छानबीन की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से अधिकतर देश परमाणु बिजली के पक्ष में हैं, लेकिन जर्मनी इसके विरोध में है और लगातार अपने रिएक्टरों को बंद करता जा रहा है। साथ ही अमेरिका में सस्ती गैस और यूरोप के नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के कारण इन क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा के विस्तार की गति काफी घट गई है। कुछ एशियाई देशों, जैसे चीन और दक्षिण कोरिया, जहां प्राकृतिक गैस महंगा है, वहां परमाणु बिजली को बढ़ावा दिया जा रहा है।


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