• छत्तीसगढ़ : स्वास्थ्य मंत्री ने माना, दवाइयों में जहर था

    रायपुर ! छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बहुचर्चित नसबंदी कांड पर पहली बार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने दवाइयों में जहर होने की पुष्टि की है। साथ ही उन्होंने माना कि दवाइयां 'सब स्टैंटर्ड' और 'पॉइजनस' थी। उन्होंने सिप्रोसिन 500एमजी में चूहामार दवा मिलने की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि बिलासपुर के कानन पेंडारी में हुए नसबंदी ऑपरेशन के दौरान दर्जनभर से अधिक महिलाओं की मौत हो गई थी। ...

    रायपुर !   छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बहुचर्चित नसबंदी कांड पर पहली बार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने दवाइयों में जहर होने की पुष्टि की है। साथ ही उन्होंने माना कि दवाइयां 'सब स्टैंटर्ड' और 'पॉइजनस' थी। उन्होंने सिप्रोसिन 500एमजी में चूहामार दवा मिलने की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि बिलासपुर के कानन पेंडारी में हुए नसबंदी ऑपरेशन के दौरान दर्जनभर से अधिक महिलाओं की मौत हो गई थी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में महिलाओं की मौत चूहा मारने की दवा जिंक फास्फाइड से मिलने की पुष्टि की गई थी। वहीं जांच रिपोर्ट के आधार पर नसबंदी कांड के लगभग हफ्तेभर बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अग्रवाल ने भी महिलाओं की मौत जहरीली दवाओं से होने की पुष्टि की है।उन्होंने मीडिया से चर्चा में नसबंदी शिविर में महिलाओं की दी गई दवा में चूहामार दवा जिंक फास्फाइड मिलने की पुष्टि की है। वहीं स्वास्थ्य मंत्री ने इसमें दवा माफियाओं की साजिश की भी आंशका व्यक्त की है। उन्होंने आगे बताया कि बिलासपुर मामले की न्यायिक जांच की रिपोर्ट अगले दो महीने में आएगी, जिसमें सारी स्थिति स्पष्ट होगी।इस संबंध में बताया जाता है कि नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद महिलाओं को महावार फार्मा प्रा. लि. की सिप्रोसिन 500 दवा दी गई थी। वहां जांच के दौरान चूहा मारने की दवा भी प्राप्त हुई थी। राजधानी पुलिस ने महावार फार्मा के संचालक व उसके पुत्र को गिरफ्तार भी किया कर लिया है। दोनों अभी जेल में हैं। बताया जाता है कि महावर कंपनी ने अपनी दवाओं की जांच मुंबई के वी. केयर लैब से कराने का दावा किया है। वहीं पुलिस को कंपनी में मिले रैपर में सिप्रोसिन टेबलेट का प्रमोटर मुंबई की इसी लैब को बताया गया है। लेकिन पुलिस को इस तरह के लैब के अस्तित्व पर ही संदेह है। फिलहाल इस लैब की जांच के लिए एक टीम मुंबई भी भेजी गई है। जांच टीम के वापस लौटने पर ही पूरा मामला समझ में आएगा।नकली दवाओं के कारोबार में बढ़ोतरी :नकली दवाओं के कारोबार के संबंध में राष्ट्रीय संगठन एसोचैम के अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में इन दिनों नकली दवा के कारोबार में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अध्ययन के अनुसार इस समय देश में 25 प्रतिशत दवाएं नकली होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी के क्षेत्र की नकली दवाइयां बनाने वालों के खास जगह माने जाते हैं। ऐसोचैम की इस रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य भी नकली दवाओं की कारोबार से अछूथा नहीं हैं। यहां देशभर की मेडिकल रिप्रजेंटेटिव की दस्तक होती ही रहती है। राजधानी बनने के बाद यहां दवा कारोबार भी खूब फल-फूल रहा है। एसोचैम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नकली दवाओं की तेजी से बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण अपर्याप्त नियामक, दवा निरीक्षकों की कमी और गुणवत्ता जांचने की प्रयोगशालाओं का अभाव है।

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